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बजट 2019 ने स्टार्ट-अप्स के लिए राहत मुहैया कराई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्टार्टअप शुरू करने की राह में आने वाली मुश्किलें दूर करने के लिए कई ऐलान किए हैं. इनमें सबसे अहम है एंजेल टैक्स पर राहत . बजट प्रावधान में कहा गया है कि अपने रिटर्न में निवेश के बारे में जरूरी घोषणाएं और जानकारियां देने वाले स्टार्ट-अप की एजेंल टैक्स मामले में जांच नहीं होगी. लेकिन स्टार्टअप्स यानी नए कारोबारियों की तकलीफें और भी हैं.
इनकम टैक्स की धारा 56 के तहत स्टार्ट-अप की ओर से एजेंल इनवेस्टर से जुटाए गए फंड पर इनकम टैक्स कानून के तहत 30 फीसदी टैक्स लगता है. लेकिन भारत सरकार में रजिस्टर्ड स्टार्ट-अप के लिए यह नियम लागू नहीं है. साथ ही वेंचर कैपिटल से जुटाए गए फंड पर भी टैक्स नहीं लगता है. लेकिन मनी लांड्रिंग बंद करने के लिए लाए गए इस कानून से स्टार्ट-अप को यहां बिजनेस करने में दिक्कत आ रही है. हालांकि वित्त मंत्री ने प्रस्ताव किया कि शेयर कीमत को लेकर स्टार्टअप्स से कोई सवाल-जवाब नहीं किया जाएगा. यह प्रस्ताव ‘एंजल टैक्स’ के मामले को सुलझाने के लिहाज से किया गया है
सरकार ने स्टार्टअप्स की बिक्री से होने वाले कैपिटल गेन्स पर छूट की अवधि बढ़ाने का भी प्रस्ताव किया है. सरकार ने कहा कि देश में स्टार्टअप्स बढ़ रहे हैं और उन्हें और बढ़ावा देने की जरूरत है. अब अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंडों की कैटेगरी-2 के निवेशकों को शेयर जारी करने पर स्टार्टअप्स को उसके वाजिब बाजार कीमत को लेकर कोई सफाई देने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
दूरदर्शन के चैनलों पर खास तौर पर स्टार्ट-अप्स के लिए टीवी कार्यक्रमों की शुरुआती की जाएगी. जिसमें स्टार्ट-अप्स को लेकर टिप्स दिए जाएंगे. ये कार्यक्रम स्टार्ट-अप्स की ओर से बनाए जाएंगे.
हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि बजट में कुछ मामलों में पहल तो की गई है. लेकिन इसमें स्टार्टअप 2.0 का संकेत नहीं है. स्टार्ट-अप के लिए काम करने वाले iSPIRT फाउंडेशन का कहना है कि बजट में स्टार्ट-अप के लिए नए दौर का संकेत नहीं दिया गया है.
स्टार्ट-अप्स को इस बजट से कुछ ज्यादा की उम्मीद थी. स्टार्ट-अप्स का कहना है कि देश में रोजगार को बढ़ाने में स्टार्ट-अप्स की भूमिका बेहद अहम है. इसलिए स्टार्ट-अप कंपनियों के लिए और राहत का ऐलान करना चाहिए था.
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