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क्विंट हिंदी आपके लिए लाया है स्पेशल सीरीज बजट की ABCD, जिसमें हम आपको बजट से जुड़े कठिन शब्दों को आसान भाषा में समझा रहे हैं.. इस सीरीज में आज हम आपको गवर्मेंट रेवेन्यू यानी सरकारी कमाई का मतलब समझा जा रहे हैं.
केंद्र सरकार हर साल बजट में बताती है कि वो अलग-अलग योजनाओं पर कितना खर्च करने वाली है. साथ ही बजट में इस बात का जिक्र भी होता है कि इस खर्च के लिए पैसे का इंतजाम कहां से होगा. दरअसल, सरकार की कमाई को दो भागों में बांटा जा सकता है- कर राजस्व यानी टैक्स रेवेन्यू और गैर-कर राजस्व यानी नॉन-टैक्स रेवेन्यू.
टैक्स रेवेन्यू को भी दो हिस्सों में आप तोड़ सकते हैं-
डायरेक्ट टैक्स के दायरे में इनकम टैक्स, कॉरपोरेशन टैक्स और वेल्थ टैक्स आते हैं. इनडायरेक्ट टैक्स के दायरे में जीएसटी आता है.
नॉन टैक्स रेवेन्यू का मतलब है सरकारी कंपनियों और सार्वजनिक प्रतिष्ठानों से मिलने वाला डिविडेंड, इंटरेस्ट इनकम और विनिवेश से होने वाली आय. सभी सरकारी कंपनियों और पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज को, जिनमें बैंक और आरबीआई भी शामिल हैं, हर साल केंद्र सरकार को अपने मुनाफे का एक हिस्सा डिविडेंड के रूप में देना होता है. कई बार सरकार इन प्रतिष्ठानों से ज्यादा डिविडेंड घोषित करने की मांग भी करती है.
रिसीट बजट 2018-19 के मुताबिक, सरकार की कमाई अलग-अलग स्रोतों से इस प्रकार रही है:-
सरकारी खर्च अगर राजस्व से ज्यादा होता है तो फिर उसकी भरपाई के लिए सरकार बाजार से उधार लेती है. मिसाल के लिए वित्त वर्ष 2018-19 में 6.45 लाख करोड़ रुपए का उधार सरकार ने लिया था. वहीं, फरवरी में पेश अंतरिम बजट में सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 7.03 लाख करोड़ रुपए की सरकारी उधारी का अनुमान जताया था.
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