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रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो: समझिए क्यों किराया बढ़ाना ही है ऑप्शन

भारतीय रेल देश में सबसे बड़ी पब्लिक सेक्टर कंपनी है और इसमें करीब साढ़े तेरह लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है.

क्विंट हिंदी
आम बजट 2022
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भारतीय रेल देश में सबसे बड़ी पब्लिक सेक्टर कंपनी है और इसमें करीब साढ़े तेरह लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है.
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भारतीय रेल देश में सबसे बड़ी पब्लिक सेक्टर कंपनी है और इसमें करीब साढ़े तेरह लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है.
(फोटो: iStock)

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क्विंट हिंदी आपके लिए लाया है स्पेशल सीरीज बजट की ABCD, जिसमें हम आपको बजट से जुड़े कठिन शब्दों को आसान भाषा में समझा रहे हैं.. इस सीरीज में आज हम आपको रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो का मतलब समझा जा रहे हैं.

साल 1924 से आम बजट से अलग पेश होने वाला रेल बजट साल 2017 में इतिहास का हिस्सा बनकर रह गया था, क्योंकि इस साल से केंद्र सरकार ने रेल बजट को आम बजट में मिलाने का फैसला किया था. उसके बाद से रेलवे से जुड़ी सारी घोषणाएं आम बजट में ही की जाती हैं.

भारतीय रेल देश में सबसे बड़ी पब्लिक सेक्टर कंपनी है और इसमें करीब साढ़े तेरह लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है. करीब 70 हजार किलोमीटर नेटवर्क वाली भारतीय रेल हर दिन करीब 21,000 ट्रेनें चलाती है, जिनमें रोजाना 2.3 करोड़ यात्री सफर करते हैं.

(ग्राफिक्स: क्विंट हिंदी)

भारतीय रेल को बेशक हम देश का नेशनल कैरियर कह सकते हैं, लेकिन अगर इसकी आर्थिक सेहत की बात की जाए तो वो उतनी अच्छी तस्वीर पेश नहीं करती. रेलवे की आर्थिक सेहत को आंकने का सबसे बड़ा पैमाना होता है इसका ऑपरेटिंग रेश्यो.

ऑपरेटिंग रेश्यो वो संख्या है जो बताती है कि भारतीय रेल एक रुपए कमाने के लिए कितना खर्च करती है. अगर ऑपरेटिंग रेश्यो 90 फीसदी है तो इसका मतलब कि 100 पैसे कमाने के लिए 90 पैसे खर्च किए गए.

वित्त वर्ष 2018-19 में रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो रहा 97.3 फीसदी यानी पिछले कारोबारी साल में रेलवे ने 100 पैसे कमाने के लिए 97.3 पैसे खर्च किए. हालांकि अंतरिम बजट पेश करते वक्त तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने उम्मीद जताई थी कि रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो 96.2 फीसदी रहेगा. यही नहीं, उन्होंने चालू कारोबारी साल 2019-20 के लिए इस रेश्यो को 95 फीसदी पर लाने का लक्ष्य रखा था. साल 2017-18 में तो ऑपरेटिंग रेश्यो 98.4 फीसदी तक पहुंच गया था.

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(ग्राफिक्स: क्विंट हिंदी)

ऑपरेटिंग रेश्यो कम करने के दो तरीके हैं-

  • खर्च कम करना
  • अपनी आमदनी बढ़ाना

रेलवे के खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा जाता है कर्मचारियों की तनख्वाह और पेंशन पर, और इसमें कटौती करना तो लगभग नामुमकिन है. आमदनी बढ़ाने के लिए रेलवे को यात्री किराया और माल भाड़े में बढ़ोतरी करनी होगी, लेकिन यात्री किराया बढ़ाने का फैसला राजनीतिक वजहों से नहीं लिया जाता और माल भाड़े में बढ़ोतरी करने का बुरा असर माल ढुलाई से होने वाली कमाई पर दिख सकता है.

दरअसल, रेलवे के लिए ऑपरेटिंग रेश्यो बिगड़ने का सिलसिला पिछले एक दशक में ही शुरू हुआ है और इसकी सबसे बड़ी वजह रही है छठे और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के बाद रेल कर्मचारियों की तनख्वाह और पेंशन में बढ़ोतरी.

सरकारी आंकड़ों के ही मुताबिक, साल 2007-08 में रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो 75.9 फीसदी था, जो वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद लगातार 90 फीसदी से ऊपर रहा है. अब नई वित्त मंत्री रेलवे की आर्थिक हालत को सुधारने के लिए क्या कोई नए उपाय ढूंढ़ पाती हैं, इसका पता 5 जुलाई को ही चलेगा.

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Published: 30 Jun 2019,05:24 PM IST

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