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‘छोटे दांव’ से लेकर ‘ब्लैंक बुलेट्स’ तक-अखबारों की बजट कवरेज 

द टेलीग्राफ ने बजट को ब्लैंक बुलेट्स करार दिया तो टाइम्स ऑफ इंडिया ने टैक्स रिजीम को निशाना बनाया

स्मिता टी के
आम बजट 2022
Published:
अखबारों की बजट कवरेज पर एक नजर 
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अखबारों की बजट कवरेज पर एक नजर 
(फोटो altered by the quint) 

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शनिवार (1 फरवरी 2020) को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया. बजट की तीन अहम थीम हैं- एस्पिरेशनल इंडिया, इकोनॉमिक डेवलपमेंट, केयरिंग सोसाइटी’. कुछ एक्सपर्ट्स ने टैक्सपेयर्स के लिए नई एक टैक्स रिजीम और निचले स्लैब की तारीफ की तो कुछ ने कहा कि तेजी से मंदी की ओर जाती इकनॉमी को इससे बाहर निकालने के लिए सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. आइए देखते हैं कि देश के प्रमुख अखबारों ने इस बजट को कैसे कवर किया .

वित्त मंत्री ने की फायरिंग लेकिन नहीं चली ‘गोली’- द टेलीग्राफ

द टेलीग्राफ अपनी बेहतरीन हेडलाइन के लिए जाना जाता है. टेलीग्राफ ने हेडलाइन में 2 खबरों को एक साथ अपने पहले पेज पर जगह दी और हेडिंग दी ' ब्लैंक बुलेट' और दूसरी तरफ लिखा 'डायबोलिक बुलेट '. एक तरफ बजट पर प्रतिक्रिया दी गई थी तो दूसरी ओर शाहीन बाग में कपिल गुर्जर नामक युवक की ओर से चलाई गई गोली का जिक्र था.अखबार ने अपने इस कवरेज के बारे में ट्वीट करते हुए लिखा- वित्त मंत्री ने बजट 2020 के जरिये फायरिंग की लेकिन गोली चली नहीं. वहीं कपिल गुर्जर ने शाहीन बाग में दो गोलियां चलाईं. दोनों की मामले में भारतीय और भारत ही शिकार हुआ.

(फोटो सौजन्य :  द टेलीग्राफ)

आम आदमी के लिए नई टैक्स डील - टाइम्स ऑफ इंडिया

टाइम्स ऑफ इंडिया ने बजट कवरेज करते हुए लिखा - न्यू टैक्स डील फॉर कॉमन मैन. इसमें पीएम मोदी को आरके लक्ष्मण के फेमस कार्टून कैरेक्टर कॉमन मैन को गले लगाते दिखाया गया है. इसमें कहा गया है कि जो लोग पुरानी छूट को छोड़ना चाहते हैं उन्हें निचले टैक्स स्लैब का फायदा दिया गया है.

अखबार के पहले फ्लैप में खबर छाप कर पूछा गया है- ‘टैक्स के सवाल : आपको फायदा हुआ या घाटा? जबकि दूसरे फ्लैप में बताया गया है कि नए टैक्स शेयरिंग फॉर्मूला से किस तरह दक्षिण के राज्यों को सबसे ज्यादा घाटा होगा.

(फोटो सौजन्य : टाइम्स ऑफ इंडिया) 

न सुधार दिखा और न आम आदमी की जेब में पैसा आया-न्यू इंडियन एक्सप्रेस

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने एक लिस्टिंग करके बताया है कि किस तरह बजट ने शेयर बाजार, आर्थिक विशेषज्ञों और आम आदमी को निराश किया. इस बजट से न आम आदमी की जेब में पैसा आया और न ही इसमें आर्थिक सुधार का एजेंडा ही दिखा. नई टैक्स व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहा गया है कि ज्यादातर लोग पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स देना पसंद करेंगे.

(फोटो सौजन्य : न्यू इंडियन एक्सप्रेस) 
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इरादे बड़े, दांव छोटे - हिन्दुस्तान टाइम्स

हिन्दुस्तान टाइम्स ने माइक्रो और मैक्रो इकोनॉमिक्स का उदाहरण देते हुए लिखा है कि यह बजट दशक के सबसे खराब ग्रोथ रेट के दौरान आया है. इस पर छपी खबर में एक्सपर्ट के हवाले से कहा गया है कि बजट अपने इरादों में तो ठीक है लेकन हरेक सेक्टर में किया जाने वाला खर्च दोगुना हो सकता था. इसे ‘Micro Gamble for Macro Gain’ कहा गया गया है. इसमें कहा गया है कि वित्त मंत्री ने चुनौतियों को स्वीकार नहीं किया. एक फ्लैप में दिखाया गया है कि बजट के प्रावधानों से निराश मार्केट कैसे गिर गया.

(फोटो सौजन्य : हिंदुस्तान टाइम्स )

‘द हिंदू’ ने हेडलाइन को छोट-बड़ा कर अपनी राय जताई है. इसमें Booster Short में Booster को छोटा और Short को बड़ा कर दिया गया है. यानी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए उपाय तो किए गए हैं लेकिन छोटे. खबर में लिखा गया गया है कि किस तरह यह बजट भारत की तेजी से धीमी होती इकनॉमी को रफ्तार नहीं दे पाया है. हालांकि पर्सनल टैक्स इनकम स्लैब को कम करने और डिपोजिट इंश्योरेंस के कवर बढ़ाने को बोल्ड कदम बताया गया है. एलआईसी के विनिवेश के फैसले और डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स हटाने की तारीफ की गई है.

(फोटो सौजन्य : द हिंदू)

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