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पिछले साल पीएमसी बैंक घोटाले के बाद मुंबई में इस बैंक की शाखाओं के बाहर दिखे मार्मिक दृश्य अब भी आपके जेहन में ताजा होंगे. बैंक में हुए घोटाले की वजह से डिपोजिटरों को अपने पैसे निकालने से रोक दिया गया था. शुरू में 1 हजार और फिर बाद में 25 हजार रुपये निकालने की इजाजत मिली. इससे सबसे ज्यादा परेशान हुए सीनियर सिटीजन.
वे बैंक शाखाओं के बाहर हैरान-परेशान दिखे. कइयों की आंखें आंसुओं की भरी थीं. ये ऐसे डिपोजिटर थे, जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद अपना पैसा बैंक एफडी में जमा रखा था. इसका ब्याज ही उनकी आमदनी का स्रोत था. ऐसी स्थिति दोबारा न आए इसके लिए क्या सरकार इस बार बजट में कोई खास ऐलान करेगी?
क्या इस बार के बजट में ऐसे डिपोजिटरों खास कर रिटायर्ड बुजुर्गों के पैसे को सुरक्षित रखने के कदम उठेंगे? अपनी रकम की सुरक्षा और बेहतर रिटर्न वाले प्रोडक्ट के साथ अच्छी बैंकिंग सुविधा उनका हक है. क्या सरकार यह मांग पूरी करेगी? बुजुर्ग डिपोजिटरों को इस बार सरकार से कई उम्मीदें हैं. देखना है कि इस बार के बजट में ये पूरी होती है नहीं.
देश में जिस तरह से बैंक घोटाले हो रहे हैं उससे बुजुर्ग डिपोजिटरों का विश्वास हिल गया है. अपने रिटर्न की सेफ्टी के लिए ज्यादातर बुजुर्ग बैंकों की एफडी स्कीम में पैसा जमा करते हैं. लेकिन एक तो एफडी पर ब्याज लगातार कम हो रहा है. दूसरे, बैंक घोटाले बढ़ने से उनकी बचत पर खतरा मंडरा रहा है. देश में जिस तेजी से बैंक घोटाले हो रहे हैं उसमें जमा रकम पर एक लाख रुपये तक की इंश्योरेंस गारंटी नाकाफी है. यानी बैंक डूबता है तो आरबीआई नियमों के मुताबिक एक लाख रुपये तक की रकम की गारंटी लेता है.
आरबीआई का डिपोजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट कॉरपोरेशन यह सुनिश्चत करता है कि बैंक फेल हुआ तो एक लाख रुपये तक की रकम सुरक्षित है. जाहिर है यह बेहद कम है और इसे बढ़ाने की जरूरत है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह रकम 15-20 लाख रुपये तक होनी चाहिए.
महंगाई बढ़ने की सबसे ज्यादा मार रिटायर्ड लोगों पर पड़ती है क्योंकि उनकी आय स्थिर होती है. महंगाई उनके रिटर्न को खाने लगती है. इसलिए उनके लिए बेहतर प्रोडक्ट लाने चाहिए. आरबीआई ने महंगाई से जुड़े बॉन्ड लांच किए थे लेकिन वे सफल नहीं हुए क्योंकि उनके कूपन रेट बहुत कम थे. अगर महंगाई 4 से साढ़े चार फीसदी होती है तो कूपन रेट छह फीसदी होगा यानी सिर्फ डेढ़ फीसदी अधिक रिटर्न. रिटायर्ड डिपोजिटर इस वक्त सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम के जरिये 8.60 फीसदी ब्याज हासिल करते हैं. वहीं पीएम वय वंदना योजना के 8.30 फीसदी. आरबीआई सेविंग बॉन्ड उन्हें 7.75 फीसदी ब्याज देता है और पोस्ट ऑफिस एफडी 7.70 फीसदी . अच्छा होगा इनकी दरें और बढ़ाई जाएं.
बुजुर्ग नागरिक अपने मेडिकल खर्चों पर ज्यादा टैक्स डिडक्शन की मांग कर रहे हैं. जाहिर है बुजुर्गों का मेडिकल खर्च ज्यादा होता है. इस वक्त बुजुर्गों को हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर इनकम टैक्स के सेक्शन 80D के तहत टैक्स राहत मिलती है. मेडिकल चेकअप के लिए भी 80D और खास बीमारियों और अपंगता के लिए क्रमश: 80DDB और 80DD के तहत टैक्स छूट मिलती है. लेकिन बुजुर्ग टैक्सपेयर्स इसे काफी नहीं मानते. डिडक्शन ज्यादा होना चाहिए और इलाज के सही खर्च के एवज में मिलना चाहिए.
चूंकि मेडिकल सुविधाएं तेजी से महंगी हो रही हैं इसलिए डिडक्शन की सीमा भी बढ़नी चाहिए. इन लोगों का कहना है कि सरकारी मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के बाद कई बार अच्छी सुविधाएं नहीं मिलतीं. इसलिए उन्हें प्राइवेट अस्पतालों की सेवा लेनी पड़ती है. लिहाजा,मेडिकल खर्चों के एवज में बुजुर्गों को ज्यादा टैक्स छूट मिले.
बुजुर्गों के लिए कई बैंकों ने ‘बैंक सर्विस एट होम’ सुविधा शुरू की है. आरबीआई के नियमों के मुताबिक सीनियर सिटीजन बैंकों की सर्विस घर बैठे ही ले सकते हैं. लेकिन बुजुर्गों का कहना है कि सार्वजनिक बैंक इस तरह की सेवा देने में कोताही करते हैं. उनका कहना है कि इससे जुड़ी शिकायतों के निपटारे के लिए अलग व्यवस्था हो. सार्वजनिक बैंकों की शाखाओं में भी सर्विस अच्छी नहीं होती. लिहाजा बुजुर्गों के लिए अच्छी बैंकिंग सेवा बेहद जरूरी है.
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