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गूगल के जमाने से पहले, हम सबके लिए सही आंकड़ों का एकमात्र सोर्स इकॉनोमिक सर्वे ही हुआ करता था. लेकिन मोटे ग्रंथों में डेटा के अलावा कुछ भी पढ़ने लायक नहीं हुआ करता था. वही फॉर्मेट, वही बोरिंग चैप्टर्स.
एक छोटी सी अलग शुरूआत तब के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु के समय में हुई थी. 2012-13 के सर्वे में डेमोग्राफिक डिविडेंड पर एक चैप्टर था. उसकी शुरूआत इससे हुई थी कि समावेशी आर्थिक पॉलिसी के मूल में है सभी को अच्छी नौकरी मिले.
लेकिन सर्वे को एक आइडिया डॉक्यूमेंट बनाने का श्रेय अरविंद सुब्रमण्यम को जाता है जो 2014 से 2018 के बीच देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार थे. उनकी निगरानी में तैयार हुए हर सर्वे में उनकी छाप दिखती थी. 2015-16 के सर्वे में एक चैप्टर था, जिसमें कहा गया कि जिस तरह सब्सिडी दी जाती रही है, उससे ज्यादा फायदा अमीरों का ही होता रहा है. उसमें कहा गया कि पूरी सब्सिडी में सालाना 1 लाख करोड़ रुपयों का फायदा अमीरों को ही मिलता है.
अरविंद सुब्रमण्यम के बारे में उनके कुछ सहयोगियों ने एक लेख में लिखा था कि उनका मानना था कि मुख्य आर्थिक सलाहकार का काम सिस्टम में आइडियाज और पॉलिसी की बरसात करने का है. अरविंद सुब्रमण्यम ने इस जिम्मेदारी को अपने चार साल के कार्यकाल में इसे बखूबी निभाया.
अरविंद सुब्रमण्यम के उत्तराधिकारी के. वी. सुब्रमण्यम के पहले इकॉनोमिक सर्वे को देखने के बाद लगता है उन्होंने वित्त मंत्रालय में आइडिया जेनेरेशन को जारी रखा है. इस बार के सर्वे में कुछ अनोखे सुझाव दिए गए हैं.
एक बड़ी बात कही गई है कि सामाजिक बदलाव के जरिए भी आर्थिक लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं.
उसी तरह से महिला सशक्तिकरण के लिए जरूरी है कि निगेटिव बातों को उछालने के बजाय जो अच्छा हो रहा है उसको हाईलाइट की जाए. अगर किसी कंपनी में महिलाओं को ऊंचे ओहदे नहीं दिए गए तो उसको हाईलाइट करने की बजाय उन कंपनियों की बात होनी चाहिए, जहां महिलाओं को सम्मान दिया गया है.
एक और सुझाव है डेटा को लेकर. सर्वे में कहा गया है कि डेटा को सड़क, बिजली-पानी की तरह पब्लिक गुड समझा जाए. कहने का मतलब यह है कि डेटा कलेक्शन की जिम्मेदारी सरकार की लेकिन उसका इस्तेमाल करने का हक देश के हर नागरिक को.
कुल मिलाकर, नए मुख्य आर्थिक सलाहकार के पहले सर्वे को दूसरे नजरिए से देखने पर आपका निष्कर्ष अलग हो सकता है. लेकिन इसको आइडिया डॉक्यूमेंट की तरह देखेंगे तो पढ़ने में अच्छा लगेगा. आप उन आइडियाज से असहमत हो सकते हैं. लेकिन आइडिया का फ्लो वित्त मंत्रालय से निकल रहा है, यह खुशनुमा एहसास है.
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