advertisement
बजट 2020 में इकनॉमी, इनकम टैक्स और कई मुद्दों पर ऐलान किए गए हैं. बजट को सरकार संसद में फाइनेंस बिल के तौर पर पेश करती है. हालांकि, इस बार बजट में एक और खास ऐलान देखने को मिला है. बजट 2020 में केंद्र सरकार ने नॉन रेजिडेंट इंडियन (NRI) को लेकर नियमों में कुछ बदलाव किए हैं. लेकिन इस पर कंफ्यूजन के चलते अब सरकार ने सफाई पेश की है और बताया है कि विदेश में रहने वाले किस भारतीय नागरिक पर टैक्स नहीं लगेगा.
इस बारे में रेवेन्यू सेक्रेटरी अजय भूषण पांडे ने बताया, ''हमने इनकम टैक्स एक्ट में बदलाव किए हैं, जहां अगर एक भारतीय नागरिक 182 दिन से ज्यादा देश के बाहर रहता है तो वह नॉन रेजिडेंट बन जाता है...अब नॉन-रेजिडेंट बनने के लिए उसे 240 दिन देश से बाहर रहना होगा.''
इसके अलावा इनकम टैक्स देने के नजरिए से भी NRI की परिभाषा बदल गई है. इसके साथ ही अजय भूषण पांडे ने कहा,
हालांकि, अब सरकार ने साफ किया है कि ये प्रस्ताव ऐसे भारतीय नागरिकों को टैक्स ब्रैकेट में लाने के लिए नहीं है, जो किसी दूसरे देश के बोनाफाइड वर्कर हैं.
सरकार ने साफ किया है कि, इस प्रस्ताव के तहत जिस भारतीय को भारत का नागरिक माना जाएगा, उसकी देश से बाहर कमाई गई इनकम पर टैक्स नहीं लगेगा. लेकिन, अगर उसकी इनकम किसी भारतीय व्यापार या नौकरी से आती है तो उस पर टैक्स लगेगा.
सरकार ने इस प्रस्ताव को एक उदाहरण देकर भी समझाने की कोशिश की है.
प्रस्ताव पर और किसी संदेह का निपटारा करने के लिए सरकार ने आगे भी समझाया है. सरकार ने कहा, "अगर एक भारतीय नागरिक एक कैलेंडर ईयर में 183 दिन या उससे ज्यादा UAE में रह चुका है, तो वहां के कानून के मुताबिक वो UAE का निवासी बन जाता है. अगर वो सब-सेक्शन (1A) के तहत, भारत का निवासी भी बन जाता है, तो ये मामला टाई-ब्रेकर का बन जाता है."
सरकार ने कहा कि टाई-ब्रेकर रूल इंडिया UAE DTAA के आर्टिकल 4 के अनुसार अप्लाई किया जाता है. इसके मुताबिक अगर भारतीय नागरिक का स्थायी घर UAE में है, तो वो वहीं का निवासी कहलाएगा.
सरकार ने बताया है कि अगर उस भारतीय नागरिक के स्थायी घर UAE और भारत दोनों जगह हैं, तो फैसला इस बात से होगा कि उसका बिजनेस, नौकरी या इनकम का सोर्स कहां पर है. अगर ये सब UAE में है, तो वो वहीं का निवासी कहलाएगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए बजट पेश किया है. इस बजट में उन्होंने भारतीयों के लिए नई टैक्स व्यवस्था पेश की है. इसके तहत, 15 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले उन टैक्सपेयर्स को कम दर पर इनकम टैक्स देना होगा जो पुरानी व्यवस्था के तहत मिल रही छूट और कटौतियों को छोड़ देंगे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)