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5 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश बजट ने कई सेक्टरों को निराश किया है. लेकिन विनिवेश को लेकर किए गए इसके प्रावधानों को तारीफ मिल रही है. देश के जाने-माने निवेश विशेषज्ञ और कोटक एएमसी के मैनेजिंग डायरेक्टर नीलेश शाह का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के बारे में सरकार की विनिवेश (Disinvestment) स्ट्रेटजी काबिले तारीफ है.
नीलेश शाह ने कहा कि बजट में पीएसयू को लेकर सरकार ने स्ट्रेटजिक विनिवेश का ऐलान किया है और यह काफी सकारात्मक कदम है. शाह के मुताबिक पीएसयू में सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदी से नीचे करने का फैसला किया है. इसी 51 फीसदी हिस्सेदारी में सरकार की हिस्सेदारी भी शामिल रहेगी. इससे सरकार एक साल में एक लाख से डेढ़ लाख करोड़ देने के बजाय इतना हासिल कर पाएगी.
नीलेश शाह का कहना है कि घरेलू बचत दर घट रही है. यह जीडीपी के आठ फीसदी तक घट गई है. जब सरकार घरेलू बाजार से पैसा उठाती है तो निवेशकों के लिए पैसा नहीं बचता. इसलिए एफपीआई के लिए बाजार खोलना अच्छा साबित होगा. इससे 75 से 100 अरब डॉलर की पूंजी देश में आ सकती है. इससे सरकार को इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने के लिए पैसा मिलेगा. साफ है कि जब बाहर से पैसा आएगा तो देश में निजी निवेशकों के लिए भी बाजार का फंड बचा रहेगा.
शाह का मानना है कि डेट मार्केट में FPI को आकर्षित करने और अपने डेट और बांड मार्केट का दायरा बढ़ाने से प्राइवेट सेक्टर के लिए फंड का प्रवाह बढ़ेगा. इससे भारतीय बाजार में निवेश के लिए ज्यादा फंड उपलब्ध होगा. आज बाजार में जिस तरह से निवेश की कमी दिख रही है. निजी निवेशकों के लिए प्रोत्साहन कम है. उसमें अगर यहां मौजूद लिक्विडिटी में सरकार हिस्सा नहीं बंटाती है तो यह इकनॉमी के लिए अच्छी बात होगी. फंड फ्लो को बढ़ाने के ऐसे कदम बेहतर नतीजे देंगे.
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