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एयर इंडिया की हाई-प्रोफाइल विनिवेश प्रक्रिया को बंद करने के बाद, सरकार ने एयरलाइन के कर्ज को भी चुकाने का फैसला किया. केंद्रीय बजट 2022-23 में, सरकार ने एयर इंडिया की बकाया देनदारियों और इसकी अन्य "विविध प्रतिबद्धताओं" के निपटान के लिए अतिरिक्त 51,971 करोड़ रुपये आवंटित किए.
बजट भाषण के दौरान, निर्मला सीतारमण ने कहा, "बजट अनुमान 2021-22 में अनुमानित 34.83 लाख करोड़ रुपये के कुल खर्च के मुकाबले, संशोधित अनुमान 37.70 लाख करोड़ रुपये है. पूंजीगत व्यय का संशोधित अनुमान 6.03 लाख करोड़ रुपये है. इसमें एयर इंडिया की बकाया गारंटी देनदारी और उसकी अन्य विविध प्रतिबद्धताओं के निपटान के लिए 51,971 करोड़ रुपये की राशि शामिल है."
टाटा समूह ने 18,000 करोड़ रुपये की एक डील में एयर इंडिया में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था. इसमें से 15,300 करोड़ रुपये कर्ज के रूप में लिए गए और 2,700 करोड़ रुपये केंद्र को नकद में दिए गए.
मार्च 2021 तक एयर इंडिया को 83,916 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था और 31 अगस्त के अंत तक कुल 61,562 करोड़ रुपये का कर्ज था, जिससे सरकार की विनिवेश प्रक्रिया में देरी हुई. सालों से घाटे में चल रही एयर इंडिया को बेचना लंबे समय से सरकार के विनिवेश प्लान में से एक था.
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