advertisement
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी भविष्य में बीमारियों के इलाज के लिए होने वाले खर्चों का सुरक्षा कवच है. अपने शरीर की देखभाल पर खर्च होने वाले पैसों की बचत के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ही एकमात्र तरीका है.
ये पॉलिसी सुनिश्चित करती है कि इमरजेंसी के दौरान आपकी सेविंग पर बोझ न आए. हालांकि सेविंग पर कितना असर पड़ेगा या नहीं पड़ेगा, ये पॉलिसी के प्रकार पर निर्भर करता है.
हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने के बाद पॉलिसी चालू रहने के दौरान पॉलिसीधारकों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े, इसके लिए उन्हें कुछ बातें याद रखना जरूरी हैं:
जब आप कोई बीमा पॉलिसी खरीदते हैं, तो बीमाकर्ता आपको एक पॉलिसी बुकलेट देता है, जिसमें आपकी पॉलिसी से संबंधित सभी नियम और शर्तों का जिक्र होता है. अगर आप अपनी पॉलिसी के नियम और शर्तों से सहमत नहीं हैं, तो कुछ समय के भीतर पॉलिसी कंपनी को वापस की जा सकती है. इसलिए यह जरूरी है कि आप पॉलिसी से जड़े सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ लें और सुनिश्चित करें कि पॉलिसी आपकी जरूरत को पूरी करती है.
ज्यादातर मामलों में बीमाकर्ता पॉलिसी डॉक्यूमेंट देने के 15 दिनों के भीतर आपको आईडी कार्ड या हेल्थ कार्ड भेज देगा, क्योंकि इसे बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) ने अनिवार्य किया है. लेकिन अगर आपको निर्धारित समय के भीतर अपना आईडी कार्ड नहीं मिलता है, तो इसके लिए आप अपनी बीमा कंपनी से डिमांड कर सकते हैं.
हर वक्त आपके पास आईडी कार्ड रहें, ताकि अस्पताल में जरूरत पड़ने पर आप कैशलेस सुविधा का लाभ ले सकें.
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के बाद इसके क्लेम लेने के तरीके को समझना भी जरूरी है. इमरजेंसी की स्थिति में तरह-तरह की दिक्कत से बचने के लिए क्लेम लेने का पूरा सिस्टम पहले ही समझ लेना चाहिए. क्लेम के दौरान जरूरत पड़ने वाले डॉक्यूमेंट की लिस्ट और टीपीए का कॉन्टेक्ट नंबर अपने पास तैयार रखें. इस तरह आपको कंपनी से अपना क्लेम का निपटारा करने में काफी आसानी होगी.
अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में परिवार को जानकारी देना जरूरी है. उन्हें इसके फायदे के बारे में भी बताना चाहिए. इमरजेंसी के दौरान परिवार को ये मालूम होना चाहिए कि बीमाकर्ता से इसका क्लेम कैसे लें.
इसके अलावा, परिवार के कम से कम एक सदस्य को अपने पॉलिसी डॉक्यूमेंट की कॉपी दें और उन्हें ये भी बताए कि आपका आईडी कार्ड कहां रखा है.
अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को जारी रखने के लिए, बीमाकर्ता को निर्धारित समय पर पॉलिसी फीस या प्रीमियम का भुगतान करते रहना चाहिए. अपने बजट में से मासिक/तिमाही/छमाही/सालाना आधार पर प्रीमियम के भुगतान के लिए कुछ पैसे अलग करते रहें. सही समय पर प्रीमियम का भुगतान नहीं करने से पॉलिसी टर्मिनेट की जा सकती है, जिसके बाद पॉलिसी से किसी तरह का फायदा नहीं मिलेगा.
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी की तरह हेल्थ पॉलिसी ज्यादा लंबे समय के लिए नहीं होती है. हेल्थ पॉलिसी को सालाना आधार पर या हर 2-3 साल में रिन्यू करने की जरूरत होती है. बीमाकर्ता पॉलिसी की अवधि पूरी होने से पहले रिन्यू कराने के लिए एसएमएस या ईमेल के जरिए सूचित करती रहती है. इसलिए बीमाकर्ता को सही मोबाइल नंबर और ईमेल एडर्स देना चाहिए.
हेल्थ पॉलिसी आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत टैक्स बेनिफिट लेने में मदद करती है. न केवल अपनी पॉलिसी के प्रीमियम पर, बल्कि अपने पति/पत्नी या माता-पिता की पॉलिसी के प्रीमियम पर भी टैक्स बेनिफिट का दावा किया जा सकता है. लेकिन ये सुनिश्चित कर लें कि आपकी पॉलिसी टैक्स बेनिफिट के नियमों में आती हो. इस तरह, हेल्थ पॉलिसी टैक्स बचत में भी फायदेमंद साबित हो सकती है.
ये भी पढ़ें- इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने से पहले ध्यान रखें... बहुत जरूरी बात
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)