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बिटकॉइन में इंवेस्ट कर चुके हैं या करने की तैयारी कर रहे हैं, तो सावधान हो जाइए. इस क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में 6 हजार डॉलर से भी ज्यादा की गिरावट आई है. 5 दिनों के भीतर बिटकॉइन 13 हजार डॉलर पर पहुंच आया है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, बिटकॉइन की कीमत एक समय लुढ़क कर 10,777 डॉलर तक भी पहुंच गई थी. बता दें कि पिछले हफ्ते ये 'करेंसी' 19 हजार डॉलर के करीब पहुंच गई थी.
एक साल में अगर 1400 पर्सेंट से ज्यादा बिटकॉइन की वैल्यू बढ़ सकती है, तो उसका क्रैश भी इंवेस्टर्स को जमीन पर ला सकता है. ऐसे में अगर आप इतना जोखिम उठा सकते हैं, तो ही इसमें अब इंवेस्ट करने की सोचिए. दूसरी बात, बिटकॉइन की कीमत में अगस्त 2011 से हर दिन औसतन 3 फीसदी का बदलाव आया है.
मतलब हर दिन कम से कम 3 फीसदी की कमी या बढ़ोतरी. इतनी तेजी का सुकून से फायदा उठाने के लिए जरूरी है कि देश में इस पर रेगुलेशन हो. फिलहाल ऐसा नहीं है. रेगुलेटरी अथॉरिटी नहीं होने के कारण अगर आपके पैसे डूबते हैं, तो कहीं सुनवाई नहीं होगी. किसी के भरोसे में आकर पैसे लगाने से बचिए.
फिलहाल, बिटकॉइन की सप्लाई सीमित है. इसकी वजह से थोड़ी भी मांग आने से इसकी कीमत में भारी उछाल आता है. जैसे-जैसे इसके बारे में खबरें फैल रही थी, निवेशकों का रुझान इसकी तरफ आ रहा है और कीमत बढ़ रही थी.
दुनिया के बड़े-बड़े एक्सचेंज में भी इस पर ट्रेडिंग की बात से भी वैल्यू में बढ़ोतरी हुई. अब माना जा रहा है कि इसकी कीमत अपने पीक पर पहुंच चुकी है, जैसे-जैसे इसकी खबरें फैल रही हैं, आश्चर्यजनक तौर से इसमें उतार-चढ़ाव आ रहा है. कीमतों में ये 'भयंकर' बदलाव आगे भी जारी रख सकता है.
अगर अब तक आपको ये नहीं पता चला कि आखिर बिटकॉइन क्या बला है, तो जान लीजिए कि ये एक वर्चुअल करेंसी है. मतलब वर्चुअल दुनिया की वर्चुअल करेंसी, जिसका कोई फंडामेंटल आधार नहीं है. साफ है कि भारत में कोई भी सरकारी एजेंसी इसे रेगुलेट नहीं करती है. गोल्ड एक धातु है, जिसकी अपनी वैल्यू होती है.
डॉलर कितना महंगा या सस्ता होगा, ये अमेरिकी अर्थव्यवस्था की हालत पर निर्भर होता है. रुपये की वैल्यू हमारी अर्थव्यवस्था से जुड़ा है. पाउंड की सेहत यूके की अर्थव्यवस्था पर निर्भर है, जबकि येन का जापान की अर्थव्यवस्था पर. इससे अलग, बिटकॉइन की कोई अपनी वैल्यू नहीं होती है.
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