advertisement
शेयर बाजार पर आर्थिक जगत की लगभग हर छोटी बड़ी घटना का असर देखा जाता है. साल में एक बार आने वाला बजट बाजार को प्रभावित करने वाले करकों की इस सूची में सबसे ऊपर स्थान रखता है. बजट में घोषित नीतिगत बदलाव, टैक्स संबंधी प्रावधानों में फेरबदल शार्ट टर्म के अलावा मीडियम टर्म में भी बाजार पर असर डालता है. पिछले दिनों में मार्केट के अप्रत्याशित बुल रन को ध्यान में रखते हुए 1 फरवरी को आने वाला यूनियन बजट और भी अहम होगा. आइये देखते है पिछले सालों में कैसा रहा है बजट से पहले और बजट के ठीक बाद भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन.
2020 में बजट के पेश होने से पहले एक महीने में बाजार ने नेट करीब 1.7% का नेगेटिव रिटर्न दिया था. पिछले वर्ष के बजट से पहले बाजार में गिरावट की वजह US द्वारा ईरानी कमांडर पर एयरस्ट्राइक के कारण तनाव की स्थिति रही. चाइना- US ट्रेड डील संबंधी अंसमंजस के इस समय में कोरोना संकट का भी दुनिया को आभास हो चुका था.
अगर हम इससे पहले के वर्षों को देखे तो, 2017 और 2018 में मार्केट ने बजट से एक महीने पहले अच्छी बढ़त हासिल की थी. वहीं, 2015 और 2019 में महत्वपूर्ण इंडेक्स फ्लैट रहे. 2016 में बाजार में बड़ी गिरावट देखी गई थी. ऐसे बदलावों का अहम कारण एक्सटर्नल फैक्टर्स, घरेलु आर्थिक हालात और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा निवेश रहा.
बजट की घोषणा वाले दिन शेयर बाजार में सबसे अधिक वॉलिटेलिटी की संभावना होती है. पिछले सालों में बजट घोषणा के बाद मार्केट में मिश्रित दिशा दिखी है.
2016, 2018 और जुलाई 2019 के बजटों के बाद भी बाजार कमजोर हुआ. वहीं, 2015, 2017, फरवरी 2019 के बजट से बाजार को दम मिला था.
एक दूसरा अहम पहलू यह भी है कि फरवरी 2016 के अलावा हर वर्ष बजट वाले दिन की बाजार की दिशा अगले कुछ दिनों तक बनी रही. घोषणा वाले दिन 152 प्वॉइंट्स गिरने के बाद सेंसेक्स ने अगले 6 दिन चढ़ते हुए 1791 प्वॉइंट्स की बढ़त हासिल की. मोदी सरकार के पहले बजट के पेश होने वाले दिन 2015 में सेंसेक्स 0.48% चढ़ा था, जिसके दो अगले दिन भी उछाल देखी गई और इंडेक्स ने 0.79% जोड़ा. 2017 में बजट डे गेन 1.76% का रहा, जिसके अगले 3 सेशन में बाजार ने 1.06% की और उछाल दर्ज की. इसी तरह 2018 में भी बाजार 0.16% नीचे बंद होने के बाद अगले 4 दिनों में करीब 5% नीचे बंद हुआ.
कोरोना संकट के उबरने की कोशिश करते इकॉनमी के लिए बजट 2021 काफी महत्वपूर्ण हो सकता है. जहां एक ओर अलग-अलग सेक्टरों की तरफ से विशेष राहत पैकेज की मांग हो रही है वहीं दूसरी ओर सरकार ने भी इस बजट के ऐतिहासिक होने के संकेत दिए है. देखना यह भी होगा की क्या सरकार लोगों के पॉकेट में पैसा बढ़ाने के लिए कोई बड़ा बदलाव करती है. भारतीय अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन काफी लंबा खिंचा है और ऐसे में बाजार निश्चित तौर पर अच्छे, बड़े और कारगर कदम चाहेगा. पॉलिटिकल कारणों से बड़े रिफॉर्म्स की उम्मीद पर असर हो सकता है, फिर भी बिजनेस को प्रोत्साहित करने वाला हर कदम निवेशकों के उत्साह को बढ़ाएगा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)