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साल 2020 में कोरोना महामारी ने दुनिया को काफी हद तक बदला है. अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता को लेकर निवेशकों ने ऐसे समय में सुरक्षित निवेश माने जाने वाले गोल्ड में जमकर भरोसा जताया. लेकिन अब तेजी से सुधरती परिस्थितियों ने ना केवल गोल्ड की मौजूदा कीमतों को प्रभावित किया हैं बल्कि नए साल में गोल्ड में निवेश को लेकर इन्वेस्टर्स को दुविधा में डाल दिया है. ऐसे में समझते हैं कि गोल्ड बाजार आने वाले साल में कैसी चकम बिखेरेगा. साथ ही अगर आप ज्वेलरी या फिर घरेलू इस्तेमाल के लिए गोल्ड खरीदना चाहते हैं तो कौन सा वक्त सबसे मुफीद होगा.
इस साल की शुरुआत में गोल्ड ₹39,100 के स्तरों पर था. कोरोना महामारी के शुरुआती झटकों के बाद सोने का भाव गिरकर ₹38,400 पर आ गया था.
गोल्ड के सुरक्षित निवेश होने की वजह से कोरोना वायरस के संकट के शुरुआत में इस धातु की अच्छी डिमांट रही और गोल्ड अपने नए सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था. अगस्त में गोल्ड का भाव 56,100 तक पहुंच गया था.
इसके बाद कोरोना वैक्सीन को लेकर अच्छी खबरों और घटते मामलों से निवेशकों का रुख शेयर बाजार की तरफ वापस आया. बाजार जहां लगातार नई ऊंचाईयों पर कारोबार कर रहा है, वहीं सोने का भाव अभी कमजोर होकर करीब ₹50,000 रूपये तक आ गया हैं.
US समेत बाकी देशों के सेंट्रल बैंक द्वारा विभिन्न रूपों में स्टिमुलस के जारी रहने की उम्मीद है. इसके साथ ही कम ब्याज इंटरेस्ट दरों से बढ़ने वाले मनी सप्लाई के कारण डॉलर में कमजोरी के भी जारी रहने और बढ़ने की उम्मीद हैं. ऐसी परिस्थिति में निवेशक गोल्ड की तरफ रुख कर सकते हैं.
आर्थिक गतिविधियों में बढ़त से सोने के भाव में गिरावट देखने को मिली हैं. लेकिन ध्यान देने वाली बात यह हैं कि हालांकि गोल्ड की कीमतों में कमी इन्वेस्टमेंट के लिए मांग में कमी के कारण आ रही हैं, अब जब लोगों की इनकम में इजाफा हो रहा है तो इस वजह से फिजिकल गोल्ड की डिमांड बढ़ने के पूरे आसार हैं.
वैसे तो मार्केट कोरोना की जद से निकलता हुआ दिख रहा है लेकिन अगर UK में मिले नए स्ट्रेन से खतरा बढ़ा और संक्रमण मामलों में खासा इजाफा हुआ तो फिर से निवेशकों को सोने में चमक दिख सकती हैं.
बढ़ती महंगाई और बॉन्ड से मिलने वाले रिटर्न्स के कम रहने की स्थिति भी फिस्कल सहायता के जारी रहने पर काफी संभव है. इस कारण और अन्य उपरोक्त कारकों को ध्यान में रख कर कई जानकार सोने के 63,000 के स्तर को छूने का अनुमान लगा रहें हैं
ऊपर दिए गए फैक्टरों और अन्य पहलुओं को लेकर कई निवेशकों ने अपने-अपने अनुमान जताए हैं.
एक्सपर्ट्स के अलावा ब्रोकरेज कंपनियों ने भी गोल्ड की 2021 में चाल को लेकर अनुमान जताए हैं.
सॉवरेन बांड में सोने की कीमत में बदलाव से मुनाफे के अलावा तय 2.5% कूपन इंटरेस्ट भी मिलता है. पेपर के तौर पर जारी होने वाले इस बांड का मैच्योरिटी पीरियड 8 सालों का है जिसमें निवेशकों को 5 साल के बाद निकालने का ऑप्शन भी दिया गया है. इन बांड्स पर मैच्योरिटी के बाद कैपिटल गेंस टैक्स में छूट है लेकिन इंटरेस्ट से कमाई इनकम का हिस्सा है जिसपर मामूली टैक्स लगाया जाता है. निवेश के नजरिये से गोल्ड के खरीदारों के लिए यह एक आकर्षक रास्ता है. म्यूच्यूअल फंड कंपनियों द्वारा लाए जाने वाले गोल्ड ETF भी इस धातु में निवेश का अच्छा विकल्प हैं.
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