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कारोबारी अदार पूनावाला ने मुंबई के चर्चित लिंकन हाउस का कब्जा नहीं मिल पाने के लिए ‘‘नौकरशाही उत्पीड़न’’ को जिम्मेदार ठहराया है. पुणे मे वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग इंस्टीट्यूट ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ चलाने वाले अरबपति पूनावाला परिवार ने 2015 में 750 करोड़ रुपये की बोली लगाकर लिंकन हाउस को खरीदा था. अदार पूनावाला ने बताया कि चार साल बाद, ‘‘पर्याप्त’’ रकम का भुगतान करने के बाद भी परिवार को संपत्ति का कब्जा मिलना बाकी है. उन्होंने इसके लिए भारतीय अधिकारियों के ‘‘नौकरशाही उत्पीड़न’’ को जिम्मेदार ठहराया.
वांकानेर के तत्कालीन महाराजा के दो एकड़ में फैले इस बंगले को 1957 में अमेरिका ने लीज पर लेकर वाणिज्य दूतावास का कार्यालय बनाया था. अमेरिकी वाणिज्य दूतावास को बाद में यहां बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में ले जाया गया. पूनावाला परिवार ने अमेरिका के साथ सौदा किया था, जिसमें लीज के अधिकारों का ट्रांसफर शामिल था.
पूनावाला ने कहा, ‘‘मैंने कभी भी इस संपत्ति को नहीं छुआ क्योंकि मुझे डर था कि कहीं इस डील में कोई दिक्कत न आ जाये. लीज 999 साल के लिए है और 1957 में शुरू हुआ. हमारे पास 900 और साल हैं.’’ हालांकि, पूनावाला ने कहा कि उन्हें सौदा रोकने के लिए कोई खास कारण नहीं बताए गए हैं. ये भूमि रक्षा मंत्रालय के रक्षा संपदा विभाग के अधीन आती है, जिसे डील के लिए आगे बढ़ने और लीज के अधिकारों को ट्रांसफर करने की जरूरत है.
पूनावाला ने कहा कि पिछले चार साल में वो रक्षा मंत्रालय के नौकरशाहों से मिले और उन्होंने इसे जल्द मंजूरी दिये जाने के लिए पूर्व रक्षा मंत्रियों अरुण जेटली और मनोहर पर्रिकर से भी मुलाकात की थी. पूनावाला का कहना है कि ये मुद्दा प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के पास लंबित है. अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के प्रवक्ता निक नोवाक से संपर्क किए जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी सरकार लीज की शर्तों के अनुसार लिंकन हाउस के पट्टे को ट्रांसफर करने के लिए भारत सरकार के साथ काम करना चाहती है.’’ पूनावाला ने कहा कि भारत सरकार को जल्द से जल्द इस डील के लिए कुछ फैसला करना चाहिए.
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