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टाटा ग्रुप की जानी मानी कंपनी टाटा मोटर्स (Tata Motors) ने सोमवार 26 जुलाई को अप्रैल-जून क्वार्टर का रिजल्ट जारी किया. हालांकि कंपनी के घाटे में कमी आयी है, लेकिन ये जानकारों के भरोसे पर खरी नहीं उतर पाई. सेमी कंडक्टर चिप की कमी का असर कंपनी के व्यापार पर पड़ा हो सकता है.
बीते तिमाही में कंपनी का कंसोलिडेटेड लॉस करीब ₹4,450 करोड़ रहा. पिछले साल इसी तिमाही में कंपनी का लॉस करीब ₹8,450 करोड़ का था.
विशलेषकों ने कंपनी को ₹1312 करोड़ लॉस का अनुमान लगाया था. जबकि कंपनी के तिमाही नतीजे से पता चलता है कंपनी को (₹4,450 करोड़) उम्मीद से कई गुना ज्यादा का लॉस हुआ है.
कंपनी का रेवेन्यू पिछले साल के इसी तिमाही (YoY) की तुलना में 107.6% बढ़कर लगभग ₹66,406 करोड़ रहा.
स्टैंडअलोन आधार पर कंपनी को बीते वर्ष के इसी तिमाही में ₹2190 करोड़ के नुकसान की तुलना में ₹1,320 करोड़ का घाटा हुआ.
टाटा मोटर्स की जगुआर लैंड रोवर ने इस क्वार्टर में करीब 1 लाख 25 हजार गाड़ियों की बिक्री की, जो कि ईयर ऑन ईयर आधार पर 68.1% ज्यादा है.
सेमी कंडक्टर चिप की कमी का प्रभाव जगुआर लैंड रोवर गाड़ियों पर पड़ता है. कंपनी खुद मानती है कि उसे इस साल के अंत तक इस समस्या का समाना करना पड़ सकता है.
म्यूच्युअल फंड्स ने इस तिमाही कंपनी में अपनी शेयर होल्डिंग बढ़ाई है.
फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर (FII) ने भी टाटा मोटर्स में अपनी हिस्सेदारी बढ़ायी है.
वहीं, प्रमोटर्स के द्वारा शेयर होल्डिंग पैटर्न में कोई बदलाव नहीं आया है.
हाल में ही, दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला ने कंपनी में अपना स्टेक कम किया है
टाटा मोटर्स खुद मानती है कि ग्लोबल चिप शॉर्टज, कोविड को लेकर अनिश्चिता और कमोडिटी में मंहगाई, इत्यादि शॉर्ट टर्म में कंपनी के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं.
हालांकि कई ब्रोकरेज हाउस मानते हैं कि चिप की समस्या टेम्पररी है. ब्रोकरेज हाउस अभी भी टाटा मोटर्स के लिए लॉन्ग टर्म में खरीदारी की राय दे रहे हैं.
मोतीलाल ओसवाल ने टाटा मोटर्स के लिए ₹400 का टारगेट दिया है.
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