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पहले लोग शेयर मार्केट (Share Market) में निवेश को जुआ खेलने के सामान मानते थे-अब ये पुरानी बात है. अब जैसे-जैसे लोगों की फाइनेंशियल लिटरेसी बढ़ रही है, लोग फिक्स्ड डिपाजिट के अलावा कई और निवेश के विकल्पों की तरफ ध्यान दे रहे हैं. कई स्टार्टअप आने की वजह से करोड़ो नये लोग मार्केट से जुड़े हैं और बाजार में अपनी भागेदारी लगातार बढ़ा रहे हैं. लेकिन एक आम निवेशक को शेयर बाजार में निवेश से पहले इन बातों पर ध्यान देना चाहिए.
अगर आप मार्केट में नये हैं, तो आपके लिए सही सेक्टर का चयन सबसे महत्वपूर्ण है. सही सेक्टर चयन करने के लिए पहले ये समझने की कोशिश करें कि अभी या आने वाले दिनों में किस सेक्टर की ग्रोथ सबसे ज्यादा होगी. आप अपने अगल-बगल हो रही चीजों को ध्यान से ऑब्जरव करके पता लगाने की कोशिश कर सकते हैं अभी कौन सा सेक्टर सबसे अधिक डिमांड में है.
उदहारण के लिए अगर आपको लगता है हमलोग डिजिटल दुनिया की तरफ बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं और आने वाले दिनों में लगभग सभी चीजें डिजिटल हो जाएगी. ऐसे में आप निवेश के लिए IT सेक्टर के स्टॉक्स पर रिसर्च करेंगे. वहीं, अगर आपको लगता हैं आने वाले दिनों में देश में कई कारखाने, इमारतों का निर्माण होगा, तो आपको इंफ्रास्ट्रक्चर स्टॉक्स में निवेश करना चाहिए. मार्केट एनालिस्ट की माने तो अभी के समय के अनुसार भारत में IT, मेटल और इंफ्रास्ट्रक्चर समेत सभी सेक्टर में ग्रोथ की आपार संभावना है.
नये रिटेल निवेशक को कभी भी टेलीविजन या कहीं और से मिले टिप पर खरीदारी नहीं करनी चाहिए. किसी भी कंपनी के शेयर में इन्वेस्ट करने से पहले उसके बिजनेस को समझना बहुत जरुरी है. शेयर खरीदने से पहले हमेशा कंपनी के बारे में डिटेल से पढ़े. कंपनी क्या करती है, कंपनी अपने कारोबार से कितना मुनाफा बना रही है, बाकी पियर्स (उसी सेक्टर की दूसरी कंपनियों) की तुलना में ये कंपनी क्यों सबसे अच्छी है, निवेश का डिसिजन लेने से पहले ऐसी तमाम बाते खुद से जरूर पूछे.
कंपनी के फाइनेंशियल को देखकर आप कंपनी के बारे में बहुत चीज चीजें पता कर सकते हैं. हर कंपनी साल में 4 बार (तीन-तीन महीनों पर) अपने तिमाही नतीजे की घोषणा करती है. कंपनी अपने क्वार्टरली रिजल्ट के माध्यम से अपने शेयरहोल्डर्स को अपने प्रॉफिट-लॉस और सारे पैसे का लेखा-जोखा देती है. किसी भी कंपनी का क्वार्टरली रिजल्ट आपको उस कंपनी के ऑफिसियल वेबसाइट पर आसानी से मिल जायेगा. कंपनी के भविष्य के लक्ष्य के बारे में जानने के लिए आपको कंपनी के इन्वेस्टर प्रेजेंटेशन को देखना चाहिए.
सही स्टॉक चुनना का सबसे बेसिक तरीका है कि आप उन स्टॉक्स में निवेश करने की सोचे जो कंपनी अपने करोबार से लगातार अच्छा प्रॉफिट बना रही है और उम्मीद है कि आगे भी अच्छा मुनाफा बनाने में कामयाब रहेगी. चूंकि आप उस कंपनी का शेयर खरीद रहे हैं, आप उस कंपनी के मालिक है -भले ही बहुत छोटे हिस्से के ही क्यों ना हो. इसलिए कंपनी के प्रॉफिट में आपका भी हिस्सा है. कई कंपनियों अपने शेयरहोल्डर्स को प्रॉफिट में हिस्सेदारी देने के लिए समय- समय पर डिवीडेंड (Dividend) देती हैं.
आपने शायद बहुत बार पढ़ा होगा मार्केट में होने वाले फायदे से ज्यादा आपको अपने हो सकने वाले नुकसान पर ध्यान रखना चाहिए. कोई भी ट्रेड लेने से पहले उस ट्रेड के रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो (Risk to Reward Ratio) को जरूर देखें.
आसान भाषा में 'रिस्क टू रिवॉर्ड' रेश्यो का मतलब ऐसे समझे- आपने हो सकने वाले प्रॉफिट के लिए कितना पैसा दाँव पर लगाया है. चलिए एक उदाहरण ले लेते हैं, मान लीजिए आपने किसी कंपनी के एक शेयर को ₹100 में खरीदा. और उसके लिए आपने टारगेट प्राइस ₹120 का और स्टॉपलॉस ₹80 का रखा. तो - अगर वो शेयर ₹120 पर पहुंचता तो आपको 20 रूपये का फायदा होगा. लेकिन अगर इसके विपरीत अगर इसी शेयर का कीमत घटते हुए ₹80 पर पहुंच गया तो आपको 20 रूपये का नुकसान होगा. ऐसे में इस ट्रेड के लिए आपका 'रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो' 20/20 मतलब 1:1 का होगा.
आमतौर पर 1:2 के 'रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो' को अच्छा मना जाता हैं. मतलब अगर आप किसी शेयर में ₹20 रूपये का फायदा देख रहे हैं तो ये बात याद रखें की उस ट्रेड में आपको ₹10 से ज्यादा का नुकसान न हो.
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