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Russia-Ukraine War से किन कंपनियों पर पड़ेगा ज्यादा असर, किनसे बचकर रहें निवेशक?

रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण यूरोप में जैगुआर लैंड रोवर (JLR) के सेल्स पर प्रभाव पड़ सकता है.

कुणाल के गुप्ता
आपका पैसा
Published:
<div class="paragraphs"><p>Russia-Ukraine War से किस शेयर पर पड़ेगा सबसे ज्यादा प्रभाव?</p></div>
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Russia-Ukraine War से किस शेयर पर पड़ेगा सबसे ज्यादा प्रभाव?

(फोटो: iStock)

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रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine War) के बीच युद्ध शुरू हो चुका है. हालांकि इस जंग का असर केवल इन दोनों देशों तक सीमित नहीं रहेगा. वैश्विकरण वाले जमाने में सभी देश की कंपनियों का व्यापार पुरे दुनियाभर में है. रूस और यूक्रेन चल रहे इस युद्ध का असर दुनियाभर के शेयर बाजार में आज देखने को मिला. भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख इंडेक्स BSE सेंसेक्स और NSE निफ्टी करीब 5% गिर गए. सेंसेक्स 2702 पॉइंट्स की गिरावट के साथ 54,529 पर बंद हुआ. सेंसेक्स में ये मार्च 2020 के बाद एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है.

आइये देखते है रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का असर किन स्टॉक्स के प्राइस पर पड़ सकता है-

टाटा मोटर्स के शेयर को लगा तगड़ा झटका

रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण यूरोप में टाटा मोटर्स की सहायक कंपनी जैगुआर लैंड रोवर (JLR) के सेल्स पर प्रभाव पड़ सकता है. जैगुआर लैंड रोवर एक लक्जरी ब्रांड है और टाटा मोटर्स के कुल राजस्व का बहुत बड़ा हिस्सा JLR से आता है. इससे निवेशकों के बीच डर का माहौल पैदा हुआ. एनएसई पर टाटा मोटर्स का शेयर आज गुरुवार को करीब 11% की गिरावट के साथ बंद हुआ.

क्रूड ऑइल प्राइस 7 सालों के रिकॉर्ड स्तर पर, किन स्टॉक्स को हो सकता है सबसे ज्यादा नुकसान?

जियोपोलिटिकल क्राइसिस के कारण क्रूड ऑइल का प्राइस $100 प्रति बैरल के ऊपर चला गया है, जोकि पिछले 7 सालों में सबसे ज्यादा है. बढ़ते ऑइल प्राइस के कारण पेंट्स, टायर जैसे सेक्टर की कंपनियों पर सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि इन सेक्टर्स के ज्यादातर कंपनियों के द्वारा प्रोडक्ट्स को बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले कच्चे माल इम्पोर्ट किए जाते हैं. ऑइल प्राइस में बढ़ोतरी होने के कारण इन कंपनियों का इनपुट कॉस्ट बढ़ जाएगा. वहीं, कच्चे ऑइल के प्राइस में तेजी का फायदा ONGC के स्टॉक को हो सकता है.

इस अनिश्चितता के दौर में डॉलर रूपये के मुकाबले लगातार मजबूत हो रहा है, इससे IT कंपनीयां जिनका व्यापार बहुत हद तक डॉलर में होता है; उन्हें लाभ हो सकता है.
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फार्मा कंपनियों पर पड़ सकता है नकारात्मक प्रभाव

सन फार्मा और डॉ रेड्डी लैब्स का रूस में काफी अच्छा व्यपार है. ऐसे में अगर ये युद्ध लंबा चलता है तो इसका असर इन दोनों फार्मा कंपनियों के शेयर पर पड़ सकता है.

भारतीय चाय निर्यातकों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिकारियों ने कहा कि रूस भारतीय चाय के लिए सबसे बड़े बाजारों में से एक है. कुल निर्यात का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा केवल रूस को निर्यात किया जाता है. ऐसे में चाय इंडस्ट्री से जुड़े स्टॉक्स पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

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