Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Business Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019SpaceX: ‘स्पेस ट्रैवल’ की उड़ान में निजी कंपनियां लाएंगी रफ्तार

SpaceX: ‘स्पेस ट्रैवल’ की उड़ान में निजी कंपनियां लाएंगी रफ्तार

अमेरिका में कॉमर्शियल स्‍पेस ट्रैवल के एक नए युग की शुरुआत हो गई है

प्रदीप
बिजनेस
Updated:
अमेरिका में कॉमर्शियल स्‍पेस ट्रैवल के एक नए युग की शुरुआत हो गई है
i
अमेरिका में कॉमर्शियल स्‍पेस ट्रैवल के एक नए युग की शुरुआत हो गई है
(फोटो: ट्विटर/NASA)

advertisement

आधी सदी पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अपोलो चंद्र अभियान की सफलता ने मंगल ग्रह को इंसानी पहुंच के काफी करीब ला दिया था. असल में, नासा ने 1980 के दशक की शुरुआत में ही लाल ग्रह पर कदम रखने की योजना बनाई थी, लेकिन राजनीतिक और सामाजिक रूख के बदलाव ने उस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया. चांद के बाद मंगल तक इंसान के पहुंचने की बात तो दूर 1972 के बाद चांद पर अब तक दोबारा किसी के कदम तक नहीं पड़े हैं.

इसका बड़ा कारण राजनीतिक है क्योंकि बीते 50 सालों में अंतरिक्ष से जुड़ी तमाम गतिविधियां अमेरिका, रूस, चीन, भारत, जापान वगैरह देशों की सरकारी एजेंसियों के भरोसे ही संचालित होती रही हैं.

हाल ही में अरबपति इलॉन मस्क की कंपनी ‘स्पेसएक्स’ के शक्तिशाली रॉकेट फॉल्कन-9 से चार एस्ट्रोनॉट्स को सफलतापूर्वक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) में पहुंचाया गया है. यह दूसरा मौका है जब किसी अंतरिक्ष मिशन के लिए स्पेसएक्स के रॉकेट का इस्तेमाल हुआ है.

अमेरिका को नहीं लेनी होगी दूसरे देशों की मदद

इस सफलता के साथ ही अमेरिका में कॉमर्शियल स्‍पेस ट्रैवल के एक नए युग की शुरुआत भी हो गई है. जबकि अमेरिका से पहले रूस और चीन ऐसा कर चुके हैं. इस मिशन की सफलता के बाद अमेरिका को अपने एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजने के लिए रूस और यूरोपीय देशों का सहारा नहीं लेना पड़ेगा. यानी उसे करोड़ों-अरबों रुपए खर्च करके रूस और यूरोपीय देशों के रॉकेट से अपने अंतरिक्ष यात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन नहीं भेजना पड़ेगा. इस साल मई महीने की शुरुआत में नासा के प्रशासक जिम ब्रिडेनस्टाइन ने कहा था कि नासा प्रसिद्ध हॉलीवुड एक्टर टॉम क्रूज के साथ अंतरिक्ष में पहली मूवी शूट करने के लिए काम कर रहा है. इससे यह भी साफ तौर पर जाहिर हो गया है कि नासा के अधिकारी अंतरिक्ष कार्यक्रमों के व्यवसायिक दोहन के प्रति कितने गंभीर हैं.

अंतरिक्ष का सफर नजदीक

अन्तरिक्ष विज्ञान के विशेषज्ञों की मानें तो स्पेसएक्स की ये हालिया उड़ान जल्द ही पूरी तस्वीर बदलने वाली साबित हो सकती है. अब भविष्य के अंतरिक्ष उड़ानों में हमें कुछ बदलाव तो जरूर देखने को मिलेंगे, क्योंकि निजी ऐरोनॉटिक्स कंपनियों के आने से अब जो भी बदलाव होंगे उनमें कीमत एक प्रमुख कारक होगी. निजी कंपनियों के इस उद्योग में आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और इससे तकनीकी विकास में भी तेजी आएगी. अंतरिक्ष से जुड़े मामलों के जानकारों की मानें तो स्पेसएक्स के इस अहम मिशन की कामयाबी से अब अंतरिक्ष की यात्रा सरकारों के कब्जे से धीरे-धीरे बाहर हो रही है और निजी कंपनियों के जरिए अंतरिक्ष में लोगों को ले जाने की घड़ी भी नजदीक आ गई है.

स्पेसएक्स का यह मिशन अंतरिक्ष कार्यक्रमों से जुड़ी अनेक व्यावसायिक कंपनियों को इस क्षेत्र में सिरमौर बनने और अंतरिक्ष पर्यटन पर बेहिचक काम करने के लिए निश्चित रूप से प्रोत्साहित करेगा. फिर बात चाहे पृथ्वी की निचली कक्षा में जाने की हो या एस्ट्रोनॉट्स को क्षुद्रग्रह, चांद या फिर मंगल तक पहुंचाने की. प्राइवेट स्पेस एजेंसियां इसके लिए कमर कस रही हैं.

वैसे भी नासा का स्पेस शटल प्रोग्राम 2012 में ही पूरी तरह से खत्म हो चुका है. यानी उसके सभी स्पेस शटल रिटायर हो गए हैं. ऐसे में नासा को भी एस्ट्रोनॉट्स को लाने-ले जाने के लिए निजी कंपनियों के स्पेसक्राफ्ट्स पर निर्भर रहना होगा.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

स्पेस टूर के पैकेज

अंतरिक्ष की यात्रा हमें बहुत आकर्षित करती है, पर प्रश्न है कि आखिर ऐसी यात्राओं का उद्देश्य क्या है. क्या इसका मकसद अमीरों को अंतरिक्ष के सैर-सपाटे के लिए रिझाकर कमाई करना है, लंबी दूरी की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए प्रेरित करना है या फिर भारी वित्तीय संकटों से जूझ रही सरकारी स्पेस एजेंसियों को स्पेस एक्स्प्लोरेशन के लिए आर्थिक और वैज्ञानिक संसाधन जुटाने में सहयोग करना है?

आज आलम यह है कि तमाम परेशानियों से पार जाकर, प्रोजेक्ट की देरी को पीछे छोड़कर, कुछ कंपनियां अंतरिक्ष की सैर का सपना दिखा रही हैं. यहां तक कि स्पेस टूर के पैकेज बेच रही हैं. अंतरिक्ष यात्राओं के मामले में पिछली सदी के उत्तरार्ध में शुरू हुआ हम इंसानों का सफर फिलहाल अपनी पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह- चंद्रमा तक ही ठहरा हुआ है.

अंतरिक्ष के बेहद मामूली हिस्से को ही हमने जाना है. मौजूदा स्पेसक्राफ्ट्स में इतनी क्षमता ही नहीं है कि वे अपने साथ इंसान को चंद्रमा से पार ले जाकर सकुशल पृथ्वी पर वापस लौट सकें.

प्राइवेट एजेंसियों को मौका

वास्तव में अंतरिक्ष यात्राओं और अंतरिक्ष अन्वेषण पर बढ़ रहे भारी खर्च के कारण सरकारें इस काम से हाथ खींचने लगी हैं क्योंकि अंतरिक्ष से कुछ ऐसी उपलब्धियों की संभावनाएं लगभग खत्म गई हैं जिनसे अरबों-खरबों डॉलर की कमाई का कोई रास्ता खुलता हो. खगोलीय पिंडों से खनिजों और मूल्यवान धातुओं की खुदाई की बात हम आए दिन सुनते रहते हैं, मगर वह काम इतना खर्चीला और झंझट भरा है कि कोई सरकार इसकी शुरुआत करने को राजी नहीं है.

अपोलो मिशन के तहत अमेरिका ने 1969 से 1972 के बीच चांद की ओर कुल नौ अंतरिक्ष यान भेजे और 6 बार इंसान को चांद पर उतारा. दरअसल अपोलो मिशन कोई वैज्ञानिक मिशन नहीं था, इसका मुख्य उद्देश्य राजनैतिक था, और वो था- सोवियत संघ को अंतरिक्ष कार्यक्रमो में पछाड़ना. गौरतलब है कि अपोलो मिशन के अंतर्गत गए लगभग सभी चंद्रयात्री सैनिक थे न कि वैज्ञानिक, सिर्फ एक वैज्ञानिक हैरिसन श्मिट को अपोलो-17 द्वारा चांद पर जाने का मौका मिला था और वे चांद पर गए पहले और आखिरी वैज्ञानिक हैं. शीतयुद्ध के समय में अंतरिक्ष अनुसंधान के बहाने मिसाइलों के विकास का जो काम किया जाता था, अब वे सारे उद्देश्य भी हासिल किए जा चुके हैं. ऐसे में सरकारें स्पेस टूरिज्म से लेकर सुदूर अंतरिक्ष की खोजबीन तक के लिए सरकारी खजाने के इस्तेमाल से बचना चाहती हैं. इसलिए सरकारें प्राइवेट एजेंसियों को मौका देकर खर्चे में कटौती कर सकती हैं.

स्पेस होटल लॉन्च करने की तैयारी

इलॉन मस्क का कहना है कि अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो 2025 तक स्पेसएक्स इस स्थिति में आ जाएगा कि वह एक ही साल में हजारों अमीर पर्यटकों को अंतरिक्ष की सैर करा सके और इसके बदले भारी-भरकम कमाई कर सके. रिचर्ड ब्रैंसन की वर्जिन गैलेक्टिक और जेफ बेजोज की ब्‍लू ऑरिजिन टूरिस्टों को अंतरिक्ष के छोर पर ले जाने की योजना पर गंभीरतापूर्वक काम कर रही हैं. अंतरिक्ष पर्यटन की असीम संभावनाओं को देखते हुए कुछ कंपनियों ने अंतरिक्ष में होटल बनाने की योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है. ओरायन स्पान नामक कंपनी 2021 तक अपना स्पेस होटल लॉन्च करना चाहती है और 2022 तक उसमें मेहमानों की मेजमानी का इरादा रखती है. गेटवे फाउंडेशन नामक कंपनी चांद पर 2025 तक होटल लॉन्च करना चाहती है. बहरहाल, हम यह कह सकते हैं कि अंतरिक्ष एक बार फिर इंसान के सपनों की नई मंजिल बन गया है. और निजी कंपनियों के कारण मंजिल तक दौड़ तेज होने जा रही है.

प्रदीप एक स्वतंत्र स्तंभकार हैं जो विज्ञान पर एक कई सालों से देश की मशहूर पत्र पत्रिकाओं में लिख रहे हैं

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 21 Nov 2020,09:53 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT