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पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में अब ''ट्विन बैलेंस सीट'' की समस्या की दूसरी लहर आ चुकी है. जिसके चलते अब अर्थव्यवस्था ICU की तरफ बढ़ रही है.
ट्विन बैलेंस सीट का मतलब बैंको की बैलेंस सीट पर एनपीए का बढ़ता दबाव है. इस एनपीए में बड़ी कंपनियों का बड़ा कर्ज भी शामिल होता है.
सुब्रमण्यन के मुताबिक ताजा आर्थिक मंदी की वजह यही ''ट्विन बैलेंस सीट'' संकट है. उन्होंने कहा,
अरविंद सुब्रमण्यन ने यह बातें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर इंटरनेशनल डिवेल्पमेंट के ड्रॉफ्ट वर्किंग पेपर में कहीं.
सुब्रमण्यन ने टीबीएस समस्या पर ध्यान दिलाते हुए कहा, कि यह संकट निजी कॉरपोरेट कंपनियों की वजह से आया है. कंपनियों ने यह कर्ज दिसंबर 2014 में लिया था, जब वह नरेंद्र मोदी सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार थे.
बता दें TBS-1 की समस्या स्टील, ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की कंपनियों के कर्जे के चलते आई थी. यह कर्ज 2004 से 2014 के बीच लिए गए थे. पेपर के मुताबिक, TBS-2 डिमॉनेटाइजेशन के बाद पैदा हुआ है.
इसमें रियल स्टेट फर्म और एनबीएफसी कंपनियां शामिल हैं. डिमॉनेटाइजेशन के पास बैंकों के पास बड़ी संख्या में पैसा आया, जिसका बड़ा हिस्सा उन्होंने एनबीएफसी कंपनियों को उधार दिया. एनबीएफसी कंपनियों ने यह पैसा रियल स्टेट सेक्टर की कंपनियों को उधार दिया. 2017-18 तक रियल स्टेट सेक्टर के 5,00,000 करोड़ रुपये के लोन में एनबीएफसी कंपनियों का हिस्सा है.
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