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बिटकॉइन का हाल के कुछ दिनों में जो हश्र दिख रहा है उसने बाजार पर नजर रखने वालों के बीच एक साल से चले आ रहे इस सवाल को और गंभीर बना दिया है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी दुनिया में ट्यूलिपमेनिया और डॉटकॉम बुलबुले के बाद दुनिया का सबसे कुख्यात बुलबुला साबित होगी.
क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन जिस अभूतपूर्व रफ्तार से चढ़ी थी ( दिसंबर, 2017 के सर्वोच्च शिखर से पचास फीसदी की कमी के पहले) उससे निवेशकों में चिंता बढ़ना लाजिमी था.
इस चार्ट के मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी में पिछले तीन साल में 60 गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई. यह सचमुच अभूतपूर्व, असाधारण है.
क्रिप्टोकरेंसी ने 1990 के दशक में नैसडेक कंपोजिट इंडेक्स के सबसे अच्छे दिनों में दर्ज बढ़ोतरी को भी पीछे छोड़़ दिया. अगर थोड़ा इतिहास में जाएं तो इसने 1700 में मिसिसिपी और साउथ सी बुलबुले को पीछे छोड़ दिया. इसने 1630 के ट्यूलिपमेनिया को भी पीछे छोड़ दिया है..
वैसे बिटकॉइन की कीमतों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी को कम करके देखा जा सकता है. अगर सालाना आधार पर देखें तो तीन साल में बिटकॉइन की बढ़त मिसिसिपी और साउथ सी बुलबुले के दीवानगी भरे दिनों में कीमतों की तूफानी रफ्तार से कम रही है.
मगर, अब भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर संदेह जताए जा रहे हैं. न्यूयॉर्क के कॉनवॉय इनवेस्टमेंट और जीएमओ एलएलसी के जेरेमी ग्रांथम ने बिटकॉइन की आश्चर्यजनक बढ़त का विश्लेषण किया है. पिछले बुलबुलों से तुलना करके उन्होंने बताया है कि क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में बढ़त आगे चल कर टिक नहीं पाएगी. ग्रांथम जीएमओ के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रेटजिस्ट हैं और 74 अरब डॉलर का प्रबंधन करते हैं. 3 जनवरी को निवेशकों को जारी किए गए एक पत्र में उन्होंने कहा,
ग्रांथम ने बाजार को लेकर अब तक चेतावनी दी है उनमें कुछ सही साबित हुई हैं और कुछ गलत. 1990 में टेक्नोलॉजी स्टॉक्स बढ़ोतरी को उन्होंने बुलबुला करार दिया था और उस बाजार से निकल आए थे. हालांकि इस चक्कर में उन्होंने इस सेक्टर की कुछ बड़ी बढ़तों का फायदा नहीं उठा नहीं सके थे. बहरहाल. यह वक्त तय करेगा कि ग्रांथम और दूसरे मंदड़िये सही हैं या गलत. बिटकॉइन के मामले में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी.
(इनपुट: ब्लूमबर्ग)
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