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'कौन बनेगा करोड़पति' में लोगों को करोड़पति बनने का मौका देने वाले इस शो के होस्ट अमिताभ बच्चन ने वर्चुअल करेंसी बिटकॉइन में आई उछाल की वजह से सौ करोड़ से ज्यादा का मुनाफा कमाया है. इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चन परिवार ने ढाई साल पहले करीब 1.6 करोड़ का इन्वेस्ट किया था, जिसकी वैल्यू अब करीब 110 करोड़ रुपये हो चुकी है. बच्चन परिवार को ये प्रॉफिट बिटकॉइन को लेकर वॉल स्ट्रीट और फाइनेंशियल मार्केट में आए उछाल की वजह से हुई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2015 में अमिताभ बच्चन ने बेटे अभिषेक के साथ मिलकर पर्सनल इन्वेस्टमेंट के तहत मेरीडियन टेक पीटीई में 1.6 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट किया था. मेरीडियन टेक सिंगापुर की फर्म है, जिसकी स्थापना वेंकट श्रीनिवास मीनावल्ली ने की थी. कई छोटी टेक्नॉलजी और फाइनेंशियल कंपनियों की तरह मेरीडियन के बारे में भी कम लोग ही जानते थे. लेकिन पिछले हफ्ते मेरीडियन की प्राइम एसेट Ziddu.com को एक विदेशी कंपनी लॉन्गफिन कॉर्प ने खरीद लिया. यह अधिग्रहण लॉन्गफिन कॉर्प के अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज नैस्डेक पर लिस्टिंग के दो दिन बाद किया गया.
बच्चन परिवार ने साल 2015 में जब आरबीआई की ओर से अधिकृत लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत मेरीडियन में इन्वेस्टमेंट किया था, तब Ziddu क्लाउड स्टोरेज और ई-डिस्ट्रीब्यूशन स्टार्टअप थी. दिसंबर 2017 में इसे ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी एंपावर्ड सॉल्यूशंस प्रोवाइडर बताया गया, जो अलग-अलग कॉन्टिनेंट्स की क्रिप्टोकरंसीज का इस्तेमाल करते हुए माइक्रोफाइनेंस मुहैया कराती है.
‘ब्लॉकचेन’ और ‘क्रिप्टोकरंसी’ जैसे शब्दों के कमाल की वजह से लॉन्गफिन का शेयर पिछले बुधवार से सोमवार के बीच 1000 फीसदी से ज्यादा चढ़ गया. शुक्रवार को जब Ziddu को खरीदने की डील का ऐलान हुआ तो शेयर 2500 फीसदी से ज्यादा चढ़ गया.
रिपोर्ट के मुताबिक, मेरीडियन टेक में अपनी होल्डिंग के बदले अमिताभ और अभिषेक बच्चन को एसेट की खरीददारी के बाद लॉन्गफिन के 250000 शेयर मिले. सोमवार को लॉन्गफिन का स्टॉक प्राइस 70 डॉलर था, जिसकी वजह से लॉन्गफिन में बच्चन परिवार की होल्डिंग की वैल्यू 1.75 करोड़ डॉलर थी, जो मौजूदा एक्सचेंज रेट के हिसाब से करीब 114 करोड़ रुपये हुई. मीनावल्ली ने बताया, ब्लॉकचेन को लेकर दुनियाभर में दिख रही दीवानगी के चलते ही ऐसा हुआ है. इकॉनमिक टाइम्स के मुताबिक, इस बारे में अब तक अमिताभ की ओर से कोई जवाब नहीं आया है.
लॉन्गफिन का दावा है कि एक्सपोर्टर और इंपोर्टर Ziddu कॉइंस को इथेरियम और बिटकॉइन में बदल लेते हैं और इससे मिलने वाली रकम का इस्तेमाल वर्किंग कैपिटल के रूप में करते हैं.
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