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कच्चे तेल के दाम में लगातार तेजी से महंगाई पर दबाव बना हुआ है. बुधवार को कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 69 डॉलर तक पहुंच गई. ये पिछले 2.5 साल में सबसे ज्यादा है. अब कच्चे तेल की कीमतों में इजाफे के बाद पेट्रोल- डीजल और फ्यूल के दाम बढ़ेंगे जो महंगाई को और बढ़ा सकते हैं.
जानकारों के मुताबिक क्रूड के महंगा होने से अगर पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते हैं तो महंगाई दर में चौथाई परसेंट बढ़ोतरी हो सकती है. साथ ही सरकार के लिए भी ये चिंता का सबब बन सकती है.
इससे पहले नवंबर में ब्रेंट क्रूड करीब 10 परसेंट उछलकर 65 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया था. ब्लूमबर्ग क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक, कच्चे तेल की एक अहम पाइपलाइन में दिक्कत आ जाने की वजह से कीमतें बढ़ी थीं. जिस पाइपलाइन में ये दिक्कत आई थी वो तकरीबन आधी दुनिया में कच्चे तेलों की कीमतों में दाम बढ़ा सकती है.
देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की नीति को उदार बनाये जाने के बावजूद बाजार में बुधवार को शेयरबाजारों का उत्साह ठंडा रहा और दोनों सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी मामूली गिरावट के साथ बंद हुए. जानकार मानते हैं कि बाजार की प्रवृत्ति सकारात्मक है और थोड़े समय के लिए कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है.
बजट और खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े पहले सतर्क रुख और तेल की बढ़ती कीमतें बाजार को प्रभावित कर सकती हैं. बता दें कि सेंसेक्स के शेयरों में TCS सर्वाधिक लाभ में रही.नहीं की थी.
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