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इस सरकार की सबसे बड़ी आलोचना इस बात को लेकर होती है कि नई नौकरियां, नए मौके बनते नहीं दिखे या फिर उम्मीद से कम दिखे. इसी बात को बजट पेश होने के ठीक एक दिन पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कहा. राहुल गांधी ने नौकरियों के मामले में सरकार को पूरी तरह से फेल बताया. खासकर नोटबंदी के बाद ये आलोचना और बढ़ गई कि सरकार ने तरक्की की अच्छी-खासी चल रही गाड़ी के सामने रोड़ा लगा दिया और अब तो नया रोजगार मिलना और कम हो जाएगा.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस धारणा को ही ध्वस्त करने की कोशिश की है. वित्तमंत्री के पूरे भाषण में 11 बार जॉब यानी नौकरियों का जिक्र आया है. हालांकि सरकार को बहुत अच्छे से पता है कि आज के समय में तरक्की की रफ्तार बढ़ने भर से नौकरियां बहुत नहीं बढ़ने वाली. इसीलिए सरकार का स्किल इंडिया पर खास जोर है.
वित्त मंत्री के बजट भाषण में 16 बार स्किल शब्द का जिक्र आया है. सरकार के सामने एकदम साफ है कि नए मौके लाने के लिए किधर ध्यान देना है और सरकार उस तरफ खास ध्यान देती दिखी है.
21.47 लाख करोड़ रुपये के इस साल के बजट में 3.96 लाख करोड़ रुपये इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च के लिए रखा गया है. अरुण जेटली ने नई मेट्रो रेल नीति जल्दी ही घोषित करने की बात बजट में की है. साथ ही कहा गया है कि इससे ढेर सारे नए रोजगार के मौके बनेंगे.
इलेक्ट्रॉनिक मेन्युफैक्चरिंग में सरकार को नए मौके बनने की उम्मीद दिखती है.
वित्तमंत्री ने ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लिए 2.41 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. 64000 करोड़ रुपये सिर्फ राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए रखा गया है. समुद्री किनारों की 2000 किलोमीटर की सड़कों को भी सरकार ने विकसित करने के लिए चिह्नित किया है.
सरकार ने 2018 तक 3500 किलोमीटर नए रेलवे ट्रैक बनाने का भी लक्ष्य रखा है. सरकार की योजना सड़क और रेलवे के जरिये बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त करने के साथ युवाओं को रोजगार देने की भी है.
रियल एस्टेट क्षेत्र की मंदी को दूर करने और रोजगार के मौके तैयार करने के लिए सरकार ने सस्ते घर बनाने को बुनियादी क्षेत्र का दर्जा दिया है. इससे बुनियादी क्षेत्र को मिलने वाले सभी फायदे सस्ते घर बनाने वालों को मिलेंगे.
नोटबंदी के बाद सबसे ज्यादा रोजगार इसी क्षेत्र में घटने की खबरें थीं. इसीलिए सरकार इस क्षेत्र में रोजगार की गति को बढ़ाने के लिहाज से ये कोशिश करती दिख रही है.
टेक्सटाइल सेक्टर में रोजगार के लिए सरकार ने पहले से विशेष योजना लागू कर रखी है. इसमें लेदर और फुटवेयर उद्योग को भी शामिल किया गया है. कपड़ा उद्योग भी रोजगार के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. साथ ही 5 विशेष पर्यटन क्षेत्र बनाने से भी नौजवानों को नए मौके मिल सकेंगे.
कुशल भारत को मजबूत करने के लिए 3479 ऐसे विकास खंडों में शिक्षा बेहतर करने पर जोर दिया जाएगा, जो पिछड़े हैं. सरकार चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग खुद उद्यमी बनें. इसके लिए सरकार ने इस साल का बैंकों का कर्ज देने का लक्ष्य दोगुना करके मुद्रा योजना के तहत 2.44 लाख करोड़ रुपये कर दिया है. कुल मिलाकर नरेंद्र मोदी सरकार इस बजट के जरिए घर, सड़क, रेलवे, कपड़ा उद्योग में तेजी लाकर और आसान कर्ज लोगों को देकर रोजगार के नए मौके तैयार करने की कोशिश की है.
(हर्षवर्धन त्रिपाठी वरिष्ठ पत्रकार और जाने-माने हिंदी ब्लॉगर हैं. इस आलेख में प्रकाशित विचार लेखक के हैं. आलेख के विचारों में क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)
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