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कैपिटल गेंस, फिस्कल डेफिसिट, डायरेक्ट टैक्स, रेवेन्यू.... जब मोदी सरकार 2.0 अपना पहला पूर्ण बजट पेश करेगी तो एक बार फिर इन शब्दों से सामना होगा. बजट आम आदमी पर सीधे असर डालता है लेकिन कई बार वो इन शब्दों के जाल में उलझ जाता है. इन शब्दों का मतलब जाने बिना बजट को समझना मुश्किल होता है. तो क्विंट हिंदी आपके लिए लाया है स्पेशल सीरीज बजट की ABCD, जिसमें हम आपको बजट से जुड़े कठिन शब्दों को आसान भाषा में समझाएंगे... इस सीरीज में हम आपको ‘कैपिटल गेंस टैक्स’ का मतलब समझा रहे हैं.
किसी भी ‘कैपिटल एसेट’ को बेचने से हुआ फायदा या मुनाफा कैपिटल गेन कहलाता है. यही फायदा ‘इनकम’ माना जाता है और इसलिए फिर इस पर टैक्स देना होता है जिसे कैपिटल गेंस टैक्स कहा जाता है.
कैपिटल गेंस दो तरह के होते हैं- शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म. अलग-अलग कैपिटल एसेट के लिए शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म की गणना के नियम अलग-अलग हैं और टैक्स की दरें भी.
हर तरह की चल-अचल संपत्ति जैसे जमीन, बिल्डिंग, घर, गाड़ियां, ज्वेलरी, शेयर, पेटेंट, ट्रेडमार्क, मशीनें ये सब कैपिटल एसेट के दायरे में आते हैं. लेकिन इनमें निजी कपड़े, फर्नीचर और खेती की जमीन नहीं आते. किसी भी कैपिटल एसेट को रखने की अवधि के आधार पर उससे होने वाले मुनाफे को शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म माना जाता है और फिर अगर वो मुनाफा तय सीमा (टैक्सेबल इनकम) से ज्यादा हो तो टैक्स की देनदारी बनती है.
जमीन, बिल्डिंग या घर को अगर 24 महीने से कम समय रखने के बाद बेचा जाए तो उससे होने वाला मुनाफा शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन कहलाता है. वित्त वर्ष 2017-18 से ये नियम लागू है, उसके पहले ये नियम 36 महीने का था.
24 महीने से ज्यादा समय रखने के बाद अगर जमीन या घर बेचा जाए तो फिर उससे होने वाला मुनाफा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहलाएगा.
लिस्टेड शेयरों और इक्विटी म्युचुअल फंड यूनिट के मामलों में शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की गणना के लिए 12 महीने से कम की अवधि मानी जाती है, जबकि 12 महीने से ज्यादा समय बीतने पर होने वाला मुनाफा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहलाता है.
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की दर है 15 फीसदी, जबकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की दर है 10 फीसदी, वो भी तब जबकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन 1 लाख रुपए से ज्यादा हो.
ज्वेलरी, डेट म्युचुअल फंड जैसे मामलों में शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की गणना एसेट को खरीदे जाने के बाद 36 महीने तक की जाती है, यानी अगर उन्हें 36 महीने के पहले बेचा तो होने वाला मुनाफा शॉर्ट टर्म गेन होगा. 36 महीने के बाद बेचा तो होने वाला मुनाफा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहा जाएगा.
प्रॉपर्टी के अलावा इन दिनों कैपिटल गेन्स टैक्स के नियमों में कोई बदलाव सबसे ज्यादा असर डालता है शेयरों और म्युचुअल फंड्स की खरीद-फरोख्त करने वाले लोगों पर, फिर चाहे वो ट्रेडर हों या इन्वेस्टर. शेयर बाजार के ट्रेडर्स इक्विटी पर होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स की दर को फिर से शून्य करने की मांग कर रहे हैं.
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