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2020 में बिना किसी खास सरकारी मदद के लिए इकनॉमी ने रफ्तार पकड़ी लेकिन अगर अब इस रफ्तार को जारी रखना है तो सरकार को अपनी भूमिका निभानी पड़ेगी. और ये रोल निभाने का मौका है बजट 2021. ये कहना है भारत की सबसे प्रतिभाशाली युवा अर्थशास्त्रियों में से एक प्रांजुल भंडारी का. जो HSBC सिक्योरिटीज इंडिया की चीफ इंडिया इकनॉमिस्ट हैं. भंडारी से बात की क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने.
क्या बड़े आर्थिक राहत पैकेज की उम्मीद और गुंजाइश है?
भंडारी का कहना है कि बड़े आर्थिक राहत पैकेज की उम्मीद कम है, क्योंकि इसके लिए स्पेस भी नहीं है. लेकिन सरकार को कुछ चीजों पर जमकर खर्च करना चाहिए-जैसे मनरेगा, किसान कल्याण, वैक्सीनेशन और बैंकों की हालत सुधारने पर. लेकिन इसके साथ ही सरकार को वित्तीय घाटे को काबू में रखना चाहिए. और ये संभव भी है क्योंकि आमदनी बढ़ा सकते हैं. किस्मत से टैक्स कलेक्शन अच्छा है, विनिवेश के जरिए आमदनी और बढ़ा सकते हैं.
क्या महामारी के कारण गैरबराबरी बढ़ी है?
इस सवाल के जवाब में भंडारी ने कहा कि बड़ी कंपनियों का मुनाफा बढ़ा है और छोटी कंपनियों का घाटा. इतना ही नहीं बड़े कॉरपोरेट बाजार से पैसा उठा सकते हैं और छोटे बिजनेस को बैंकों से लोन लेने में दिक्कत हो रही है.
पिछले साल के मुकाबले करीब डेढ़ करोड़ कम लोग रोजगार में हैं. हाई सैलरी वाले लोगों के पास लॉकडाउन में पैसा जमा हो गया लेकिन कम आय वाले गरीब होते गए. ये कम आमदनी वाले लोग ही बड़ी आबादी है, तो इनकी तरक्की के बिना ग्रोथ कहां से आएगी.
बजट में किन चीजों पर रहेगी नजर?
‘’सबसे ज्यादा इस चीज पर नजर रहेगी कि सरकार कहां कितना खर्च करती है. दूसरा ये देखना होगा कि वित्तीय घाटे का क्या हाल है. क्योंकि इसी के आधार पर एजेंसियां रेटिंग देती हैं. इसी हफ्ते आरबीआई की क्रेडिट पॉलिसी आएगी तो ये भी देखना हो कि वो किस तरह के संकेत दे रहा है. देखना होगा कि अब सेंट्रल बैंक मार्केट में नकदी बढ़ाना चाहता है या खींचना चाहता है. ‘’
भंडारी ने ये भी कहा कि अगर आगे चलकर विनिवेश की रफ्तार बढ़े तो सरकार की आमदनी बढ़ सकती है. शेयर बाजार के बारे में उनका कहना है कि अगर इकनॉमी संगठित क्षेत्र में बढ़ी तो बाजार में स्थिरता आएगी.
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