advertisement
Interim Budget 2024: लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने 1 फरवरी को अपने दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट पेश किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने परंपरा को दोहराते हुए अंतरिम बजट में कई ऐलान किए लेकिन कोई बड़ा ऐलान नहीं किया गया. इसके अलावा, टैक्स स्लैब में भी कोई बदलाव नहीं किया गया. बजट को लेकर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की और इसे निराशाजनक बताया. चलिए जानते हैं विपक्षी दलों के नेताओं ने बजट को लेकर क्या कहा है?
SP नेता अखिलेश यादव ने मोदी सरकार की इस अंतरिम बजट को व्यर्थ बताया और कहा कि ये बीजेपी की ‘विदाई बजट' है.
उन्होंने सोशल मीडिया 'X' पर ट्वीट कर लिखा- "कोई भी बजट अगर विकास के लिए नहीं है और कोई भी विकास अगर जनता के लिए नहीं है तो वो व्यर्थ है. बीजेपी सरकार ने जनविरोधी बजटों का एक दशक पूरा करके एक शर्मनाक रिकार्ड बनाया है, जो फिर कभी नहीं टूटेगा क्योंकि अब सकारात्मक सरकार आने का समय हो गया है. ये बीजेपी की ‘विदाई बजट’ है."
अंतरिम बजट पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, "मुझे लगता है कि बजट भाषण छोटा और निराशाजनक, दोनों था. इसमें बहुत कम सार था, बड़ी चूक हुई और कई मुद्दों को छूआ तक नहीं गया."
उन्होंने कहा "यह बजट रिकॉर्ड सबसे छोटे भाषणों में से एक था. इसमें से बहुत कुछ नहीं निकला. हमेशा की तरह बहुत सारी भाषणबाजी, कार्यान्वयन में ठोस कमी.. उन्होंने यह स्वीकार किए बिना कि विदेशी निवेश कम हो गया है, विदेशी निवेश के बारे में बात की. उन्होंने कई चीजों के बारे में बात की जो अस्पष्ट भाषा में हैं. जैसे 'आत्मविश्वास' और 'उम्मीद' इत्यादि. लेकिन जब ठोस आंकड़ों की बात आती है, तो बहुत कम आंकड़े उपलब्ध हैं... यह निराशाजनक भाषण है क्योंकि यह पूरी तरह से सामान्यताओं में छिपा हुआ है और इसमें पर्याप्त सार नहीं है और न ही अर्थव्यवस्था की विशिष्ट समस्याओं को संबोधित करने की कोई इच्छा है..."
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सरकार के बढ़ते खर्चे पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा ''यह एक 'वोट-ऑन-अकाउंट' है, जिसका एकमात्र उद्देश्य चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए सरकार को मजबूत बनाए रखना है. चिंता की बात यह है कि 18 लाख करोड़ रुपये का बजट घाटा है. इसका मतलब है कि सरकार अपने खर्च के लिए उधार ले रही है. अगले साल यह संख्या और बढ़ने वाली है."
कांग्रेस एमपी कार्ति चिंदबरम ने कहा- यह महज एक प्रशासनिक कवायद है कि नई संसद के गठन और नई सरकार के गठन तक भारत सरकार के पास अपना सामान्य कामकाज चलाने के लिए आवश्यक धन हो और यही उन्होंने किया है, अपने अनिवार्य आत्म-बधाई, आत्म-प्रशंसा वाक्यांशों को बनाने के अलावा, वहां कुछ भी नहीं है और वहां कुछ भी नहीं था."
नेशनल कॉन्फ्रेंस सांसद फारूक अब्दुल्ला ने कहा-"वास्तविक बजट जुलाई में आएगा. हमें उम्मीद है कि लोगों को फायदा होगा, पर्यटन बढ़ेगा, उद्योग भी बढ़ेंगे और देश प्रगति करेगा..."
शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत बादल ने कहा- "बजट में कुछ भी नहीं था. एक बात की मैं सराहना करती हूं कि मैं सोच रही थी कि चूंकि यह चुनाव पूर्व बजट है तो रेवड़ियां बांटी जाएगी लेकिन ऐसा नहीं किया गया. पर उन्होंने अपनी पीठ थपथपाई. ग्राउंड रियलिटी और उपलब्धियों यानी लोगों के जमीनी हालात क्या हैं और इधर क्या सोच रहे हैं, इसमें बहुत बड़ी खाई थी.
उन्होंने आगे कहा- "मुझे इस बजट में एक अहंकार नजर आ रहा था कि 'हम जुलाई में बजट पेश करेंगे'... आप किसी भी चुनाव को हल्के में नहीं ले सकते... आज आपके पास मौका था कि पिछले 10 सालों में किए गए वादों को पूरा करें न कि जनता को और सपने दिखाएं."
AAP सांसद स्वाति मालीवाल ने कहा, ''यह निराशाजनक बजट है. देश में महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है लेकिन बजट में इसके बारे में कुछ भी नहीं है...यह आम जनता के लिए निराशाजनक बजट है. महिलाओं को वर्कफोर्स में प्रतिनिधित्व कैसे बढ़ाया जाएगा, इसपर क्यों बात नहीं की गई. सिर्फ 11 फीसदी महिलाएं दिल्ली पुलिस में है, ये कैसे बढ़ाया जाएगा, इसको लेकर क्यों नहीं बात की गई है. फास्ट कोर्ट और पुलिस संसाधन कैसे बढ़ाए जाएंगे, इसपर भी बात नहीं हुई, मैं इस बजट से बहुत निराश हूं."
केंद्रीय अंतरिम बजट 2024-25 पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "क्या यह बेरोजगारों को रोजगार देने वाला बजट है? यह बजट इस साल के लोकसभा चुनाव में लोगों को लुभाने के अलावा और कुछ नहीं है."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)