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बजट में आ सकती है यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्‍कीम, जानें बड़ी बातें

प्रधानमंत्री मोदी के पिटारे में अब क्या सरप्राइज हो सकता है?

अरुण पांडेय
बिजनेस
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आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल और वित्तमंत्री अरुण जेटली  (फोटो: Reuters)
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आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल और वित्तमंत्री अरुण जेटली (फोटो: Reuters)
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या इस बजट में कुछ अनोखा करेंगे? वो तीन लाख करोड़ का गिफ्ट देंगे या 4.5 लाख करोड़ का ? उनके पिटारे में अब क्या सरप्राइज हो सकता है?

वित्तमंत्री अरुण जेटली के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं.

  • पहली नोटबंदी के दौरान गरीबों की मुश्किलों को देखते हुए गिफ्ट के तौर पर उनके कल्याण की ठोस फायदे वाली योजना का एलान.
  • दूसरी उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में चुनाव के ऐन पहले सरकार के लिए फील गुड फैक्टर तैयार करना.
  • देश और विदेश के दिग्गज इकोनॉमिस्ट के इसी पर माथापच्ची कर रहे हैं.

उम्मीद है अरुण जेटली के बजट में यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम की तरह तरह की योजना का खाका पेश किया जा सकता है. इसका मकसद होगा गरीबी दूर करना और लोगों का जीवन स्तर सुधारना.

सबसे बड़ा सवाल है कि इस स्कीम का हकदार कौन होगा?

मौजूदा हालात में अभी इसका सबसे आसान पैमाना है जनधन अकाउंट. देश में इस वक्त करीब 25 करोड़ जनधन अकाउंट हैं. मान लिया जाए कि सभी अकाउंट गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों के हैं, तो यूबीआई स्कीम के लिए तय रकम इन खातों में हर महीने ट्रांसफर की जा सकती है. इसमें एकमुश्त तय रकम 25 करोड़ लोगों के खाते में सीधे ट्रांसफर की जाएगी, लेकिन मुमकिन है कि इसके एवज में कई सब्सिडी कम की जा सकती हैं.

क्या है इनकम ट्रांसफर स्कीम

आइडिया है गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को एकमुश्त रकम सीधे उनके खाते में ट्रांसफर करना. जम्मू-कश्मीर के वित्तमंत्री हसीब द्राबू ने राज्य के लोगों के लिए ऐसी स्कीम का प्रस्ताव रखा है. इसके मुताबिक, मौजूदा कल्याण और सब्सिडी स्कीम की जगह हर महीने गरीबों को एकमुश्त एक न्यूनतम रकम सीधे ट्रांसफर कर दी जाए.

मुमकिन है 1 फरवरी को अपने बजट में अरुण जेटली भी इससे मिलती-जुलती योजना का खाका पेश कर सकते हैं. इसका नाम इनकम ट्रांसफर स्कीम या फिर यूनिवर्सल बेसिक इनकम यानी सभी गरीबों को बराबर न्यूनतम मदद हो सकती है. इसके बदले में सरकार तमाम सब्सिडी खत्म कर सकती है या फिर कम कर सकती है.

जेटली के सामने 2 बड़े सवाल

1. हर महीने कितनी रकम दी जाएगी

2. देने के लिए रकम कहां से आएगी

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जाहिर है वित्तमंत्री अगर ऐसी किसी योजना का एेलान करते हैं, तो सबसे पहले पायलट प्रोजेक्ट के जरिए होगा. लेकिन आगे चलकर योजना देश में गांवों में रहने वाली आधी आबादी तक भी लागू की जा सकती है.

इनकम ट्रांसफर पर कितनी रकम?

लेकिन सबसे बड़ा पेच यही है कि 25 करोड़ लोगों को आखिर कितनी रकम हर महीने दी जाए, क्योंकि सरकार के पास रकम सीमित है और कई बड़ी डिमांड मुंह बाए खड़ी हुई हैं. सरकार के पास तीन विकल्प हैं, 500 रुपये माह, 1000 रुपये माह या फिर 1500 रुपये माह.

हर खाते पर 500/माह

अगर 500 रुपये माह से शुरुआत की जाए, तो सरकार को 25 करोड़ लोगों को इनकम ट्रांसफर करने में खर्च होंगे 12,500 करोड़ रुपये यानी सालभर का खर्च करीब 1.5 लाख करोड़. लेकिन 500 रुपये की मामूली रकम से शायद इन लोगों को ज्यादा फायदा नहीं होगा.

हर माह 1000/माह

अगर सरकार हजार रुपये माह 25 करोड़ खातों में डालती है, तो महीने का खर्च होगा 25 हजार करोड़ रुपये और सालभर में खर्च होंगे 3 लाख करोड़ रुपये. ये रकम सरकार का पूरा बजट बिगाड़ने के लिए काफी है. 1500 रुपये महीने में यही खर्च बढ़कर 4.5 लाख करोड़ रुपये सालाना हो जाएगा.

रकम कहां से आएगी?

गरीबों के खाते में एकमुश्त रकम के बदले अलग-अलग तरह से दी जाने वाली सब्सिडी खत्म की जा सकती है. जैस सरकार का अभी का बड़ा सब्सिडी बजट करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये है.

कुल सब्सिडी

2016-17 का बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सब्सिडी का बड़ा हिस्सा यानी 2.31 लाख करोड़ अनाज, फर्टिलाइजर और पेट्रोलियम में खर्च होती है. इसमें

A. फूड सब्सिडी का हिस्सा 1.34 लाख करोड़

B. फर्टिलाइजर सब्सिडी 70,000 करोड़

C. पेट्रोलियम सब्सिडी 26,947 करोड़

D. पेट्रोलियम सब्सिडी में 20,000 करोड़ एलपीजी के लिए

E. करीब 6,000 करोड़ केरोसिन के लिए

लेकिन केंद्र की इन बड़ी सब्सिडी के अलावा राज्य सरकारें भी सब्सिडी देती हैं, जैसे पानी के लिए, बिजली के लिए, रेलवे टिकट के लिए और अगर इन सभी सब्सिडी को जोड़ा जाए तो ये रकम 3.4 लाख करोड़ यानी GDP का 4.2 परसेंट हो जाती है.

अगर मान भी लिया जाए कि सभी तरह की सब्सिडी को खत्म करके यूनिवर्सल बेसिक इनकम या यूबीआई लाई जा सकती है, लेकिन क्या गरीबी मिटाने के लिए ये कारगर होगी?

(अरुण पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं. इस आलेख में प्रकाशित विचार उनके अपने हैं. आलेख के विचारों में क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

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Published: 18 Jan 2017,01:56 PM IST

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