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अडानी एंटरप्राइजेज ने हिंडनबर्ग (Hindenburg Research) के आरोपों के बीच अपने 20,000 करोड़ रुपये के FPO को 100% से अधिक सब्सक्राइब होने के बावजूद वापस ले लिया. अब Adani Group के इस फैसले के कुछ दिनों बाद, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार, 4 फरवरी को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के मैक्रो फंडामेंटल और उसकी छवि पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.
मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि
वित्त मंत्री अडानी एंटरप्राइजेज के FPO वापसी के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव से जुड़े सवाल पर जवाब दे रही थीं. उन्होंने आगे कहा कि “क्या इससे पहले कई बार इस देश से एफपीओ वापस नहीं हुए हैं और कितनी बार इसकी वजह से भारत की छवि खराब हुई है? और कितनी बार वे FPO फिर से बाजार में नहीं आए हैं?”
वित्त मंत्री ने यहां बताया कि अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों पर नियामक संस्थान अपना काम करेंगे और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास बाजारों की स्थिरता सुनिश्चित करने के साधन हैं.
बता दें कि इससे पहले शुक्रवार को सरकार ने कहा था कि बैंकों और बीमा कंपनियों का अडानी समूह में इंवेस्टमेंट "अनुमत सीमा" के भीतर है. इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक ने भी अडानी समूह का नाम लिए बिना बैंकों के जोखिम के बारे में चिंता व्यक्त करने वाली मीडिया रिपोर्टों का जवाब दिया था और कहा था कि उसके आकलन के अनुसार, "बैंकिंग क्षेत्र लचीला और स्थिर बना हुआ है."
अडानी समूह की सात लिस्टेड कंपनियों ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सामने आने के बाद अपना लगभग आधा बाजार मूल्य खो दिया है (संयुक्त रूप से 100 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक का नुकसान हुआ है). अपनी रिपोर्ट में हिंडनबर्ग रिसर्च ने गौतम अडानी के नेतृत्व वाले समूह पर दशकों से स्टॉक में हेरफेर करने और एकाउंटिंग में धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. हालांकि अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है.
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