आखिर क्यों नोटबंदी, GST से टैक्स पेयर्स बढ़े लेकिन टैक्स नहीं?
टैक्स का दायरा बढ़ा तो सरकार का खजाना क्यों नहीं भरा?
प्रसन्न प्रांजल
बिजनेस न्यूज
Updated:
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली
(फाइल फोटोः Reuters)
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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश कर दिया. पिछले साल उठाए गए सुधार के नियमों के चलते वित्त वर्ष 2018-19 में विकास दर के 7-7.5 फीसदी तक पहुंचने के अनुमान है. नोटबंदी और जीएसटी से टैक्स पेयर्स बढ़े लेकिन टैक्स नहीं.
इस सर्वे के मुताबिक, प्रमुख आर्थिक सुधारों से अगले वित्तीय वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. इसके अलावा इस सर्वे में कई अहम बातों का जिक्र किया गया है.
(ग्राफिक्स: क्विंट हिंदी)
इकनॉमिक सर्वे की 10 बड़ी बातें जानते हैं यहां-
इकनॉमिक सर्वे 2018 में देश की जीडीपी ग्रोथ 2018-19 में 7 से 7.75 परसेंट रहने का अनुमान है.
सर्वेक्षण के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष 2017-18 में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.75 फीसदी रहने का अनुमान है.
नोटबंदी और जीएसटी की वजह से टैक्स के दायरे में 18 लाख नए टैक्स पेयर्स आए.
लेकिन टैक्स के दायरे में 18 लाख नए टैक्स पेयर्स के बावजूद सरकार की कमाई ज्यादा नहीं बढ़ेगी क्योंकि ज्यादातर मामलों में औसत आय 250,000 रुपए.
नवंबर 2016 से नवंबर 2017 के बीच 1 करोड़ नए लोगों ने रिटर्न भरा, जबकि इसके पहले के 6 सालों में सिर्फ 62 लाख नए टैक्स पेयर्स जुड़े थे.
जीएसटी और नोटबंदी से नकदी पर निर्भर कारोबार पर बुरा असर पड़ा. नोटबंदी से मांग घटी और प्रोडक्शन में भी गिरावट आई. लेकिन 2017 जुलाई तक इसका असर काफी कम हो गया.
नोटबंदी के बाद ग्रामीण इलाकों में मांग में जो कमी आई थी उसमें सुधार.
नोटबंदी से कारोबार में नकदी का लेन-देन करीब 2.8 लाख करोड़ रुपए कम हुआ है. जो कि जीडीपी का 1.8 परसेंट है.
इसी तरह नोटबंदी से सिस्टम में ऊंची वैल्यू के नोट 3.8 लाख करोड़ रुपए कम हो गए हैं जो जीडीपी का 2.5 परसेंट है.
इकनॉमिक सर्वे के मुताबिक, सर्विस सेक्टर की ग्रोथ 8.3 परसेंट रहने का अनुमान, वहीं FY 19 में वित्तीय घाटे जीडीपी के 3 परसेंट पर रहने की उम्मीद.