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बीमा पॉलिसी की मैच्युरिटी (Tax on Insurance) पर मिलने वाले पैसों पर टैक्स लगेगा, ऐसा पहली बार ही हो रहा है. इस साल पेश हुए बजट में सरकार ने टैक्स लगाने की घोषणा की है. कोई भी बीमा पॉलिसी खरीदने पर तो आप टैक्स देते ही हैं लेकिन उसकी मैच्युरिटी पर भी सरकार टैक्स वसूलना चाहती है. लेकिन सबको टैक्स नहीं देना होगा.
जो भी 5 लाख रुपये से ज्यादा का सालान प्रीमियम भर रहे हैं केवल उन्हें ही मैच्युरिटी के पैसों पर टैक्स लगेगा. अगर आप प्रीमियम 5 लाख से ज्यादा नहीं देते तो चिंता की बात नहीं है. लेकिन आप एक से ज्यादा पॉलिसी ले रहे हैं जिनका टोटल प्रीमियम भी 5 लाख रुपये से ज्यादा होगा तो भी आपको मैच्युरिटी अमाउंट पर टैक्स लगेगा. ध्यान रहे ये टैक्स केवल नॉन यूनिट लिंक्ड इंश्यॉरेंस पर प्लान यानी (नॉन यूलिप प्लांस) पर ही लगेगा. टर्म इंश्यॉरेंस पर नहीं.
नॉन यूलिप प्लान में मतलब...आपको इंश्यॉरेंस कवर तो मिल रहा है. साथ ही साथ आप जो हर साल प्रीमियम भर रहे हैं उस पर भी कुछ फिक्स्ड ब्याज मिलेगा. आपके प्रीमियम का पैसा कंपनी शेयर बाजार में नहीं लगाती. अब सोचिए आप टैक्स बचाने के लिए नॉन यूलिप प्लान खरीदते हैं लेकिन अब उसी पर टैक्स लगाया जाएगा.
एक और जानकारी, जो इन पॉलिसी को एक अप्रैल, 2023 से खरीदेंगे, टैक्स उन्हीं पर लगेगा, जिनके पास ये पॉलिसी पहले से ही है या जो भी 31 मार्च 2023 तक इन पॉलिसी को खरीदेगा उनपर कोई टैक्स नहीं लगेगा. ये कंफ्यूजन भी ना रखें कि टर्म इंश्यॉरेंस पर मिलने वाले मैच्युरिटी पर टैक्स लगेगा या नहीं. ये कोई सेविंग प्लान नहीं, टर्म इंश्यॉरेंस आपको केवल लाइफ कवर देता है, कोई अनहोनी हो जाए तो आपके नॉमिनी को पैसा मिलता है, उस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.
आप पूछेंगे कि सरकार इस पर टैक्स क्यों लगा रही है? एक्सपर्ट्स कहते हैं कि लोग इन बीमा पॉलिसी को इसलिए खरीद रहे हैं ताकि वे टैक्स बचा सकें, लेकिन बीमा का मुख्य उद्देश्य तो अचानक आई अनहोनी के समय आर्थिक मदद देना है. इस वजह से जीवन बीमा बड़े स्तर पर लोगों तक नहीं पहुंच रही है और आप चूंकि लोग इसे सेविंग या इंवेस्टिंग पर्पस से देख रहे हैं तो टैक्स भी भरें.
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