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शेयर बाजार में हाहाकार, बजट ने सेंसेक्स और निफ्टी को धोकर रख दिया

BUDGET 2018 : शेयर बाजार ने बजट के एक दिन बाद दिखाया भारी गुस्सा, बीएसई और एनसई में भारी गिरावट 

दीपक के मंडल
बिजनेस न्यूज
Updated:
लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की वापसी ने बिगाड़ी बाजार की सूरत 
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लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की वापसी ने बिगाड़ी बाजार की सूरत 
(फोटो: Reuters)

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बजट में लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स और राजकोषीय घाटे का लक्ष्य बढ़ाने के ऐलान पर शेयर बाजार ने काफी निगेटिव रियेक्शन दिया है. बजट में इस ऐलान के बाद शुक्रवार को जब शेयर बाजार गिरावट के साथ खुले और कारोबार खत्म होने तक यह नोटबंदी से लेकर अब तक की सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. सेंसेक्स 800 प्वाइंट गिरा जबकि निफ्टी 10,800 से नीचे चला गया.. इसके अलावा एशियाई बाजारों में बांड यील्ड के बढ़ोतरी ने भी बाजार को गिरा दिया.

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एचडीएफसी, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, लार्सन एंड टुब्रो और कोटक महिंद्रा बैंक के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई. मगर बाजार पर सबसे ज्यादा असर एशियाई बाजारों में कमजोरी का नजर आया. जापान का निक्केई 1.3 फीसदी लुढका. दक्षिण कोरिया का कोस्पी भी 1.37 फीसदी तक टूटा. निफ्टी में सिर्फ 1525 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई जबकि सिर्फ 81 शेयरों में बढ़त दिखी.

ग्राफिक्स : ब्लूमबर्ग क्विंट 
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राहुल गांधी का ट्वीट

ये रहीं बाजार गिरने की 5 बड़ी वजहें

लांग टर्म गेन टैक्स की मार

लांग टर्म गेन टैक्स की मार वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को ऐलान किया कि सरकार शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड से होने वाले एक लाख रुपये से ज्यादा की कमाई पर 10 फीसदी लांग टर्म गेन टैक्स लगाएगी. इसके अलावा उसने शेयर ट्रांजेक्शन टैक्स भी बरकरार रखने का ऐलान किया. इससे निवेशक भड़क गए और शुक्रवार को जब बाजार खुला तो उन्होंने निगेटिव रिएक्शन दिया. यही वजह है कि सेंसेक्स में 800 प्वाइंट से ज्यादा गिरावट दर्ज की गई.

राजकोषीय घाटे का लक्ष्य बढ़ाने से निवेशक निराश

राजकोषीय घाटे का लक्ष्य बढ़ाने से भी निवेशक निराश हुए. सरकार ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी के 3.2 फीसदी तक सीमित करने का लक्ष्य रखा था लेकिन 2018 के लिए इसे बढ़ा कर 3.5 फीसदी करने का फैसला किया है. 2019 के लिए इसका लक्ष्य 3.3 फीसदी रखा गया है. जाहिर है सरकार खर्च बढ़ाएगी और इससे वित्तीय अनुशासन कमजोर होगा. शेयर बाजार इसीलिए नाराज है

सरकारी खर्च बढ़ने का डर

सरकार ने खरीफ फसलों के लिए ज्यादा एमएसपी देने का ऐलान किया है. जाहिर है यह महंगाई बढ़ाने वाला कदम साबित हो सकता है. और इसका असर रिजर्व बैंक की ब्याज दरों पर पड़ेगा. अब आरबीआई ब्याज दर कम करने में और हिचकिचाहट दिखाएगा. ऊंची ब्याज दरें बाजार को रास नहीं आती . क्योंकि इंडस्ट्री के लिए फंड हासिल करना मुश्किल होगा. यह बाजार के मजबूत होने की राह का रोड़ा होगा.

हेल्थ इंश्योरेंस के ऐलान पर असमंजस

सरकार ने तेल सब्सिडी बरकरार रखा है, जबकि तेल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. तेल की बढ़ी हुई कीमतें सरकार का गणित बिगाड़ सकती है. इसके अलावा 50 करोड़ लोगों के हेल्थ इंश्योरेंस के वादे को पूरा करना सरकार के खजाने पर बड़ा बोझ डालेगा. निवेशकों को समझ नहीं आ रहा है सरकार इसके लिए बड़ी रकम कहां से जुटाएगी.

बांड बाजार की मजबूती का असर

सरकार का खर्च बढ़ेगा और इसके लिए बांड से पैसे जुटाए जाएंगे. इससे बांड बाजार में यील्ड बढ़ने का खतरा है. यानी अब लोग बांड में पैसे लगाएंगे क्योंकि उन्हें वहां ज्यादा रिटर्न मिलेगा.इसके अलावा एशियाई बाजारों में भी बांड यील्ड बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं. यह भी बाजार गिरने की एक बड़ी वजह है. देश में बांड बाजार एक साल के शिखर पर . यील्ड दरें 7.55 पर पहुंच गई है. जाहिर है शेयर बाजार को गिरना ही था.

गुरुवार की बजट घोषणाओं ने सिर्फ शेयर ही नहीं बल्कि पूरे वित्तीय बाजार पर नकारात्मक असर डाला है. अगर सरकार ने अपने खर्चों को काबू में रखने के उपाय नहीं किए तो बाजार को संभलने में काफी वक्त लगेगा.

ये भी पढ़ें : बजट पर बोले चिदंबरम, ‘सरकार की नई हेल्थकेयर स्कीम एक और जुमला है’

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Published: 02 Feb 2018,05:55 PM IST

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