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बजट 2018 में वित्त मंत्री अरुण जेटली का फोकस किसान और गांव पर था. 10 करोड़ गरीब परिवारों को हेल्थ इंश्योरेंस और ज्यादातर फसलों का समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ गुना करने का ऐलान किया गया है.
लेकिन इनकम टैक्स की दरों में बदलाव नहीं हुआ और शेयर बाजार में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगने का मतलब है कि ज्यादा कमाने वालों को ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ेगा. पहले शेयर बाजार की लॉन्ग टर्म कमाई पर कोई टैक्स नहीं था.
अब तक 26 बजट डीकोड कर चुके क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से समझिए बजट-2018 में क्या है आपके लिए ज़रूरी.
नौकरीपेशा लोगों के लिए बजट में बड़ा फैसला लिया गया है. इनकम टैक्स में कोई छूट नहीं दी गई है. मतलब है कि इनकम टैक्स की स्लैब में कोई बदलाव नहीं है. वहीं स्टैंडर्ड डिडक्शन की फिर से शुरुआत की गई है. स्टैंडर्ड डिडक्शन 40 हजार रुपये तक मिलेगा. वरिष्ठ नागरिकों के लिए डिपॉजिट में टैक्स से राहत दी गई है.
किसानों की बेहतरी के लिए बनेगा 11 लाख करोड़ का फंड
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किसानों को बड़े फैसलों का ऐलान किया है. देश में हाल में उभरे किसानों के अंसतोष को देखते हुए कृषि सेक्टर के लिए कई कदम उठाने का ऐलान किया है. सरकार ने कहा है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को लेकर सरकार कमिटेड है. सरकार ने मछली पालन और पशुपालन के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
वित्त मंत्री ने बजट भाषण में बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी पर बैन का ऐलान किया है. बजट भाषण में उन्होंने कहा ऐसी सारी करेंसी देश में गैरकानूनी है ऐसे में मान्यता नहीं दी जा सकती और इस पर रोक लगेगी.
वित्त मंत्री के ऐलान के बाद ही बिटकॉइन की कीमतें देश में गिर रही हैं. इससे पहले भी पूरी दुनिया में बिटकॉइन की कीमतों में कई बार भारी गिरावट देखने को मिली है. बिटकॉइन के इस हश्र के बाद बाजार पर नजर रखने वालों के बीच एक साल से चले आ रहे इस सवाल को और गंभीर बना दिया है कि क्या ये क्रिप्टोकरेंसी दुनिया में ट्यूलिपमेनिया और डॉटकॉम बुलबुले के बाद दुनिया का सबसे कुख्यात बुलबुला साबित हो गई.
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