चंदा कोचर-दीपक कोचर केस आखिर है क्या? 2009 से अब तक की बात
चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को एक मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया गया है
क्विंट हिंदी
बिजनेस न्यूज
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चंदा कोचर और दीपक कोचर
(फोटो: क्विंट)
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 7 सितंबर को आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को एक मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया है. यह केस आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन मामले से जुड़ा है. इस मामले में स्पेशल पीएमएलए कोर्ट ने 8 सितंबर को दीपक कोचर को 19 सितंबर तक ईडी की कस्टडी में भेज दिया.
इस केस पर देशभर की नजर है. साल 2009 में चंदा कोचर ने आईसीआईसीआई सीईओ का पदभार संभाला था. 2011 में उन्हें पद्मभूषण से नवाजा गया. फिर आरोपों की जद में आ कोचर ने साल 2018 में अपना पद छोड़ दिया.इस दौरान क्या केस था? कब-कब क्या हुआ जानते हैं.
आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन मामले की बड़ी बातें
इस मामले में मुख्य आरोप है कि 1 मई 2009 को आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ बनने के बाद चंदा कोचर ने अनियमित तरीके से वीडियोकॉन ग्रुप के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत की कंपनियों के लिए लोन मंजूर कराए थे, जबकि धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को उनके बिजनेस में फायदा पहुंचाया था.
इस मामले में सीबीआई ने इस आरोप पर प्रारंभिक जांच की थी कि बैंक से, निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन करते हुए वीडियोकॉन समूह से जुड़ी कंपनियों को 3,250 करोड़ रुपये के लोन दिए गए थे. मीडिया रिपोर्ट्स में संबंधित अधिकारियों से हवाले से बताया गया कि प्रारंभिक जांच के दौरान, वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन समूह के साथ जुड़ी चार अन्य कंपनियों को जून, 2009 से अक्टूबर 2011 के बीच 1,875 करोड़ रुपये के 6 लोन को मंजूरी देने में कथित अनियमितताओं का पता चला.
इसके बाद 22 जनवरी, 2019 को सीबीआई ने चंदा कोचर, दीपक कोचर, और वेणुगोपाल धूत और उनकी कंपनियों (वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड) के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत एक एफआईआर दर्ज की थी. इस एफआईआर में सुप्रीम एनर्जी (जिसकी स्थापना धूत ने की थी) और दीपक कोचर के नियंत्रण वाली कंपनी नूपावर रिन्यूएबल्स का भी नाम था.
सीबीआई की एफआईआर के बाद पिछले साल ईडी ने चंदा, दीपक, धूत और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था.
इस साल की शुरुआत में ईडी ने चंदा और उनके पति से जुड़ी 78.15 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियां कुर्क की थीं. लाइवमिंट के मुताबिक, ईडी ने एक बयान में बताया था, ''वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनियों को कथित तौर पर 1875 करोड़ रुपये के लोन की अवैध तरीके से मंजूरी के लिए, सीबीआई की एफआईआर के आधार पर, ईडी ने पीएमएलए के तहत जांच शुरू की थी. जांच में पता चला कि लोन को रीफाइनेंस किया गया था और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड और इसकी ग्रुप कंपनियों को 1730 करोड़ रुपये के नए लोन की मंजूरी मिली थी. ये लोन 30 जून 2017 को आईसीआईसीआई बैंक के लिए एनपीए बन गए.''
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, चंदा कोचर के खिलाफ आरोपों की जांच करने वाली जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा समिति ने पाया था कि वीडियोकोन को लोन देने के मामले में उन्होंने हितों के टकराव को लेकर और जिम्मेदारियों को निभाने के समय बैंक की आचार संहिता का उल्लंघन किया. इस लोन का कुछ हिस्सा उनके पति दीपक के स्वामित्व वाली कंपनी को दिया गया.
चंदा कोचर ने इस मामले में भारी विवाद के बाद चार अक्टूबर, 2018 को अपना पद छोड़ दिया था. इस विवाद से पहले शायद ही किसी ने सोचा होगा कि 2011 में पद्मभूषण से सम्मानित किए जाने के बाद वह इस तरह खुद को भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी पाएंगीं.