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भारत में ग्रीन एनर्जी सेक्टर में निवेश की अपार संभावनाएं,इंवेस्टमेंट के कई तरीके

Green Energy के साथ आगे बढ़ने की सरकार की मंशा और घोषणाओं ने भी इस क्षेत्र को तेजी से आगे की ओर बढ़ाया है.

अंकित मित्तल
बिजनेस न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>भारत में ग्रीन एनर्जी सेक्टर में निवेश की कई संभावनाएं, इंवेस्ट करने के कई तरीके</p></div>
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भारत में ग्रीन एनर्जी सेक्टर में निवेश की कई संभावनाएं, इंवेस्ट करने के कई तरीके

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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अगर निवेश के नजरिए से देखें तो हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) का क्षेत्र दुनिया भर के देशों के लिए एक सबसे बड़ा अवसर के तौर पर उभर कर सामने आ रहा है. भारत में भी इसके प्रति निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी को बखूबी देखा जा सकता है. अब चाहे कारण स्थानीय हो या फिर वैश्विक, हाल के कुछ सालों में कंपनियों और निवेशकों के बदलते नजरिये के चलते इस क्षेत्र में खासी वृद्धि दर्ज की गई है.

ग्रीन एनर्जी वह एनर्जी यानी ऊर्जा है जो प्राकृतिक संसाधनों से निकलती है जैसे सूरज के प्रकाश से, हवा या पानी से.

भविष्य में ग्रीन एनर्जी के साथ आगे बढ़ने की सरकार की मंशा और घोषणाओं ने भी इस क्षेत्र को तेजी से आगे की ओर बढ़ाया है. ऊर्जा क्षमता की ये वृद्धि लंबे समय तक जारी रहेगी और यहां निवेश की अपार संभावनाएं हैं. निवेश के लिए नए क्षेत्रों की ओर देख रहे निवेशकों के लिए ग्रीन एनर्जी एक लुभावना क्षेत्र है जिसमें निवेश करने के कई तरीके हैं.

हालांकि, भारत लंबे समय से ऊर्जा उत्पादन के लिए सबसे ज्यादा भरोसा कोयला पर करता आया है लेकिन पिछले दशक के मध्य से इसमें ग्रीन एनर्जी की भागीदारी महत्वपूर्ण रही है. साल 2017 के बाद से ग्रीन एनर्जी बिजली उत्पादन के नए तरीकों में सबसे आगे रही है, जिसमें सौर ऊर्जा (सोलर एनर्जी) का एक बड़ा हिस्सा है. तकनीक में सुधार और सौर पैनलों की कीमतों में साल दर साल गिरावट के कारण ऐसा संभव हो पाया है.

सोलर तकनीक तेजी से आगे बढ़ने के तरीकों पर काम कर रही है. सोलर एनर्जी से संबंधित उपक्रमों की लागत कम हो जाने का एक कारण ये भी है कि इस क्षेत्र मे निवेश बढ़ गया है. इस क्षेत्र में फाइनेंस के लिए भी कई कंपनियां आगे आई हैं, जिससे सोलर परियोजनाओं की लागत कम हुई है. हम कह सकते हैं कि तकनीक में सुधार, आसानी से मिलने वाली फाइनेंस सुविधा और निरंतर नए तरीकों को अपनाने की वजह से न सिर्फ सोलर की तकनीक में नित नए सुधार आ रहे हैं बल्कि लागत में भी गिरावट आई है.

भारत में इसका खासा असर देखने को मिला है. जहां 2010 में सौर ऊर्जा का टेंडर 12 रुपये प्रति किलोवाट था, वह साल 2020 में गिरकर 2 रुपये प्रति किलोवाट पर आ गया. कीमतें अभी के लिए इसी संख्या के आसपास स्थिर हो गई हैं. मौजूदा समय में यह बिजली उत्पादन का सबसे सस्ता तरीका है.

यही वजह है कि न्यू पावर कैपेसिटी इंस्टाल करने में सोलर एनर्जी को सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है. 2022 में भारत में जोड़ी गई 92 फीसदी न्यू पॉवर अकेले सोलर और पवन आधारित थी. हरित ऊर्जा इस प्रकार देश में ऊर्जा का लगभग एकमात्र स्रोत बनता जा रहा है.

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भारत में बिजली की खपत बढ़ रही है और ग्रीन एनर्जी सबसे आकर्षक विकल्प है. निवेशक भी पैसा लगाने और रिटर्न पाने के लिए इस क्षेत्र की ओर देखने लगे हैं. भारत सरकार का अनुमान है कि पिछले सात सालों में नवीकरणीय ऊर्जा में 70 बिलियन डॉलर (लगभग 5.6 लाख करोड़ रुपये) से अधिक का निवेश किया गया है. और यह एक ऐसे समय में हुआ है जब यह क्षेत्र अभी विस्तार की ओर बढ़ ही रहा है.

सरकार ने 2030 तक ग्रीन एनर्जी से 450 GW ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा है. इसके लिए हर साल लगभग 30-40 बिलियन डॉलर (लगभग 2.5- 3.2 लाख करोड़ रुपये) की निवेश की जरूरत होगी. दरअसल यह आंकड़े इस क्षेत्र में निवेश की मांग को दर्शाते हैं.

दूसरी वजह जो देश में ग्रीन एनर्जी क्षेत्र को आकर्षक बना रही है, वह पूंजी (कैपिटल) की उपलब्धता है. दुनिया भर के पूंजी बाजार विनियामक (रेग्युलेटरी) कारणों के साथ-साथ लंबी अवधि के रिटर्न के चलते ज्यादा से ज्यादा ग्रीन टेक्नॉलॉजी में फंडिंग की ओर अपने कदम बढ़ा रहे हैं. इसका अर्थ है कि उपलब्ध पूंजी को ग्रीन एनर्जी में निवेश करने के जोखिमों में कमी  आई है.

और जिस तरह से एनर्जी ट्रांजिशन यानी ऊर्जा संक्रमण की गति बढ़ रही है, उसे देखते हुए आने वाले समय में पूंजी प्रवाह में सिर्फ वृद्धि नजर आएगी. भारतीय ग्रीन एनर्जी सेक्टर में विदेशी निवेश 2014 से लगातार 500 मिलियन डॉलर (4,100 करोड़ रुपये) से ऊपर रहा था. लेकिन 2017 के बाद हर साल 1 बिलियन डॉलर (8,200 करोड़ रुपये) के आंकड़े को पार कर रहा है.

भारतीय हरित ऊर्जा से जुड़े कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां निवेश की बेहद जरूरत है. ग्रीन एनर्जी का उत्पादन इसका एक पहलू है. सौर पैनलों और पवन टर्बाइनों के निर्माण के लिए सप्लाई चैन स्थापित करने से लेकर, इन्हें वितरित ऊर्जा परियोजनाओं में स्थापित करने और जरूरी आधुनिक ग्रिड स्थापित करने तक, निवेश के लिए कई क्षेत्र हैं. इसके अलावा, इस ऊर्जा नेटवर्क का बैकएंड स्थिर रहे, ग्रिड हमेशा बैलेंस रहे, और ऊर्जा के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल जैसी जरूरतों के लिए सॉफ्टवेयर पर भी निर्भरता बढ़ी है.

यहां भी निवेश की काफी संभावनाएं हैं. दरअसल ग्रीन एनर्जी को यह सुनिश्चित करने के लिए सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है कि पावर ग्रिड सुचारू रूप से कार्य कर रहा है या नहीं. और यह इस क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण है.

दुनिया भर के देशों का कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधन को पीछे छोड़ ग्रीन एनर्जी की ओर आने और इसे समर्थन देने के लिए कई वजहे हैं. भारत में राज्य और केंद्र सरकार दोनों के मजबूत समर्थन की वजह से ग्रीन एनर्जी पसंदीदा विकल्प के रूप में सामने आई है. देशी और विदेशी कंपनियों की तरफ से उपलब्ध फंडिंग को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत में ग्रीन एनर्जी क्षेत्र में निवेश की अपार संभावनाएं हैं.

(यह लेख अंकित मित्तल ने लिखा है जो शेरु (Sheru) नाम के एनर्जी स्टार्टअप के को-फाउंडर और सीईओ हैं.)

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