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महंगे पेट्रोल-पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को काबू करने के लिए सरकार इन्हें जीएसटी के दायरे में लाने का वादा करती रही है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान कई बार कह चुके हैं वह राज्यों को पेट्रो प्रोडक्ट को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए मनाएंगे. लेकिन बड़ी दिक्कत ये है कि जीएसटी के दायरे में आने पर भी पेट्रोल-डीजल सस्ता नहीं होगा.
प्रेस ट्रस्ट की एक रिपोर्ट में सरकार के एक आला अफसर के हवाले से कहा गया है कि जीएसटी के दायरे में भी पेट्रोल-डीजल पर टैक्स का स्ट्रक्चर ऐसा होगा कि ये सस्ते नहीं हो सकेंगे. जीएसटी के दायरे में आने के बाद इस पर 28 फीसदी का हाई टैक्स और लोकल सेल्स टैक्स या वैट लगेगा. इस टैक्स स्ट्रक्चर से जीएसटी के दायरे में भी पेट्रोल-डीजल की कीमत मौजूदा कीमतों के बराबर ही होगी. इस वक्त पेट्रोल-डीजल पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और राज्यों का वैट लगाया जाता है.
इस अधिकारी के मुताबिक जीएसटी के दायरे में आने वाले किसी वस्तु या सेवा पर टैक्स की दरें लगभग वही रखी गईं, जो 1 जुलाई, 2017 से पहले केंद्र और राज्य के मिलेजुले टैक्स रेट के बराबर थी. जीएसटी के तहत टैक्स दरें 5,12,18 और 28 फीसदी रखी गईं. पेट्रोल और डीजल पर मौजूदा टैक्स की दरें पीक रेट 28 फीसदी से पहले ही ज्यादा चल रही हैं. अगर पीक रेट भी लगाया गया तो भी केंद्र और राज्य दोनों को खासा घाटा होगा. क्योंकि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में टैक्स का हिस्सा 45 से 50 फीसदी तक चला जाता है.
जीएसटी के तहत राज्यों को टैक्स में घाटे की भरपाई केंद्र को करनी होती है. केंद्र के पास इतना पैसा नहीं है कि वह राज्यों की घाटे की भरपाई कर सके. लिहाजा इस समस्या का सबसे अच्छा हल ये है कि पेट्रोल डीजल पर पीक टैक्स रेट तो लगाया ही जाए. साथ ही राज्यों को भी इस पर कुछ वैट लगाने की इजाजत दी जाए. हालांकि यह ध्यान रखना होगा कि इससे टैक्स की दरें मौजूदा दरों से भी ज्यादा न हो जाएं.
पेट्रोल-डीजल की कीमत का पूरा गणित
राज्यों का वैट
इस तरह देखा जाए तो पेट्रोल की कीमतों में टैक्स का हिस्सा 45 से 50 फीसदी तक चला जाता है. डीजल की कीमत में 35 से 40 फीसदी हिस्सा टैक्स का है.
जीएसटी को पेट्रोल डीजल की महंगाई का रामबाण समझा जा रहा है लेकिन जीएसटी के दायरे में लाए जाने के बाद इस पर टैक्स का स्ट्रक्चर ऐसा रखा जाए कि कीमतें पुराने लेवल पर ही रहे. अगर केंद्र और राज्यों ने पीक रेट 28 फीसदी के ऊपर कोई टैक्स न लगाने पर सहमति बना ली तभी पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटेंगी.
केंद्र सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में इजाफे से होने वाले घाटे की भरपाई करने के लिए नौ किस्तों में पेट्रोल पर 11.77 रुपये और डीजल पर 13.47 रुपये एक्साइज ड्यूटी बढ़ा चुकी हैं. ये बढ़ोतरी नवंबर 2014 से लेकर जनवरी 2016 के बीच हुई हैं. सिर्फ एक बार 2017 के अक्टूबर महीने में इसने पेट्रोल-डीजल पर दो रुपये की टैक्स कटौती की थी.
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