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बजट के मौके पर हाल एक चीज कॉमन देखने को मिलती है. बजट से तुरंत पहले वित्त मंत्री अपने हाथों में लाल रंग का एक ब्रीफकेस उठाए संसद भवन में दाखिल होते हैं. हर साल बजट पेश होने से पहले वित्त मंत्री के हाथों में चमड़े के बैग वाली ये तस्वीर ये बताने के लिए काफी होती है कि आज बजट पेश हो रहा है. सालों से ये परंपरा चली आ रही है. इस बैग के पीछे की रोचक कहानी है.
हम आम बोल-चाल में जिस बजट का इस्तेमाल करते हैं, वो फ्रेंच शब्द बोजेट से बना है. दरअसल चमड़े की थैली को फ्रेंच भाषा में बोजेट या बुगेट कहते हैं. साल 1733 में ब्रिटिश वित्तमंत्री रॉबर्ट वॉलपोल चमड़े के थैले में देश की आर्थिक स्थिति का लेखा-जोखा पेश करने आए थे. बाद में ये लेखा बजट बन गया. आज के समय में दुनियाभर के सैकड़ों देशों में आर्थिक लेखा-जोखा पेश करने के तरीकों को बजट ही कहा जाता है.
बजट में इस्तेमाल होनेवाले बैग के लाल के पीछे भी रोचक कहानी है. 1860 में ब्रिटेन के चांसलर ग्लैडस्टोन ने लकड़ी के बक्से पर लाल रंग का चमड़ा मढ़वा दिया. इस बक्से पर उन्होंने महारानी विक्टोरिया का मोनोग्राम भी लगवा दिया. बाद के दिनों में इस बैग में कई तरह के बदलाव आते गए. वित्त मंत्रियों ने अपने हिसाब से इसमें कई बदलाव किए लेकिन लाल रंग सभी का पसंदीदा रंग बना रहा. बाद में इस लाल रंग को ही बजट के बैग के लिए फिक्स कर दिया गया.
1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद देश के पहले वित्त मंत्री आरके षणमुखम शेट्टी बने. उन्होंने 26 नवंबर 1947 को आजाद भारत का पहला बजट पेश किया. आपको जानकर हैरानी होगी कि उन दिनों पूरे देश का बजट महज 197 करोड़ रुपये का था.
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