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मोदी सरकार के चार साल के दौरान रिजर्व बैंक ने पहली बार पॉलिसी दरें बढ़ाई हैं. मौद्रिक नीति कमेटी की दो महीने में होने वाली बैठक के बाद रेपो रेट में चौथाई फीसदी बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया गया. रेपो रेट, वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक, बैंकों के कर्ज देता है.
आरबीआई के इस कदम से लोन रेट में कमी की उम्मीद पाले लोगों को झटका लगा है और अब कर्ज सस्ता होने की संभावना कम हो गई है. कच्चे तेल के दाम बढ़ने के बाद महंगाई में इजाफे की चिंता ने रिजर्व बैंक को पॉलिसी दरें बढ़ाने के लिए मजबूर किया है.
आरबीआई की ओर से रेपो रेट बढ़ाने के बाद बैंक अपना मार्जिनल कॉस्ट-बेस्ड लैंडिंग रेट्स (MCLR) बढ़ा सकते हैं. MCLR उस रेट को कहते हैं, जिससे कम पर कोई बैंक लोन नहीं दे सकता. कई बैंकों ने पिछले सप्ताह से अपनी ब्याज दरें बढ़ाने की शुरुआत कर दी है.
एसबीआई ने पिछले सप्ताह सभी अवधि के लिए MCLR में 0.10 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है. पीएनबी, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और एचडीएफसी ने भी इन दरों में इजाफा किया था.
रेपो रेट बढ़ने के बाद अगर बैंकों ने MCLR बढ़ाया तो ईएमआई में बढ़ोतरी तय है. इसलिए नए लोन कंज्यूमर के लिए सभी बैंकों की ब्याज दरों की तुलना करना ठीक होगा. चूंकि होम लोन की अवधि ज्यादा होती है इसलिए महंगी कर्ज दरों का बोझ उपभोक्ताओं को लंबे समय तक उठाना पड़ सकता है. ऐसे में लोन लेते समय सावधानी से चुनाव जरूरी है.
रिजर्व बैंक ने पिछले चार साल में पॉलिसी रेट बढ़ाई है. पिछले कुछ वक्त से कई वित्तीय संस्थानों ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की गुंजाइश जाहिर की थी. हालांकि रिजर्व बैंक महंगाई बढ़ने की आशंका तेज होने की वजह से आरबीआई ने पॉलिसी रेट बढ़ाने का फैसला किया.
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