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दूसरी बार जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth Numbers) के आंकड़े नेगेटिव में आने के बाद, भारत तकनीकी रूप से मंदी में चला गया है. फाइनेंशियल ईयर 2020-21 की पहली तिमाही में ग्रोथ 23.9% नेगेटिव में रही थी, जिसके मुकाबले दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रिकवर होकर -7.5% रही है. लेकिन ये आंकड़े अगली तिमाही और आने वाले वक्त के बारे में क्या इशारा कर रहे हैं, इस पर जानिए एक्सपर्ट्स की राय.
महिंद्रा एंड महिंद्रा के एमडी और सीईओ, पवन गोयनका ने बिजनेस स्टैंडर्ड (BS) से कहा, “ये देखते हुए कि दूसरी तिमाही में कई इंडस्ट्री के लिए हालात कैसे थे, ये आंकड़े चौंकाने वाले नहीं हैं. कई इंडस्ट्री आज भी मुश्किलों का सामना कर रही हैं, लेकिन कई वापस ट्रैक पर आ गई हैं. अभी चिंता का विषय केवल (कोविड की) दूसरी लहर है, जिसके कारण लॉकडाउन लगाया जा सकता है. लेकिन अगर इसपर काबू पा लिया जाता है, तो दूसरी तिमाही में दिखी गति आगे चालू रह सकती है.”
मारिको कंपनी के चेयरमैन, हर्ष मारीवाला ने भी इसी ओर इशारा किया. उन्होंने पब्लिकेशन से कहा, “अगर कोरोना वायरस की दूसरी लहर को रोकने के लिए एक और लॉकडाउन नहीं लगाया जाता है, तो इसके सुधरने की उम्मीद है. दिसंबर क्वॉर्टर में आधे से ज्यादा समय बीत चुका है, उम्मीद है कि ये बेहतर होगा.”
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के पूर्व डायरेक्टर, गोविंद राव ने कहा कि पहली तिमाही में 23.9% की बड़ी गिरावट को 2019 के स्तर पर पहुंचने में कम से कम एक साल का वक्त लग सकता है.
उन्होंने आगे कहा कि अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने में काफी चीजें इसपर भी निर्भर करेंगी कि सरकार कोविड महामारी के पहले से अर्थव्यवस्था में मौजूद स्ट्रकचरल मुद्दों के समाधान के लिए कदम उठाती है या नहीं.
FICCI की अध्यक्ष, संगीता रेड्डी की राय है कि सरकार को डिमांड साइड पर नजर रखनी चाहिए. रेड्डी ने कहा कि सरकार केवल सरकारी कर्मचारियों के बजाय, सभी तक कंजप्शन वाउचर आइडिया पहुंचाने पर विचार कर सकती है. उन्होंने कहा, “त्योहारी सीजन दिसंबर तक चलेगा और सरकार के पहले से घोषित मांग-आधारित उपायों का प्रभाव पड़ेगा, तो हमें लगता है कि कंजप्शन एक्टिविटी को आगे और समर्थन देने की जरूरत है.”
कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के डायरेक्टर-जनरल, चंद्रजीत बैनर्जी का कहना है कि प्राइवेट कंजप्शन दूसरी तिमाही में कमजोर दिखती है, लेकिन सभी सबूत अगली तिमाही में ज्यादा कंजप्शन की ओर इशारा करते हैं. उन्होंने कहा, “सरकारी खर्चों में बढ़ोतरी से आने वाले महीनों में और अधिक मजबूती मिलेगी.”
वेदांता रिसोर्सेस के चेयरमैन, अनिल अग्रवाल ने कहा, “दूसरी तिमाही के आंकड़े बताते हैं कि अर्थव्यवस्था रिकवर कर रही है. प्रोत्साहन और सुधारों पर सरकार के प्रयासों का असर दिख रहा है. उम्मीद है कि, हम H2 (हाफ सेकेंड) फाइनेंशियल ईयर 21 में सकारात्मक वृद्धि और फाइनेंशियल ईयर 22 में दोहरे अंकों में वृद्धि करेंगे.”
IBM नई दिल्ली के इकनॉमिस्ट, शशांक मेंदीरत्ता ने द इकनॉमिक टाइम्स (ET) से कहा, “दूसरी तिमारी में ग्रोथ के आंकड़े, जून तिमाही में बड़े नेगेटिव शॉक से उत्पादन में ठीक ठाक रिकवरी की ओर इशारा करते हैं. कृषि विकास और मैन्युफैक्टरिंग उत्पादन के आधार पर, तिमाही के दौरान आर्थिक गतिविधियों में सुधार हुआ. मौजूदा जोखिम के बीच, रिकवरी को सावधानी से मॉनिटर करने की जरूरत है.”
ICICI सिक्योरिटीज मुंबई की इकनॉमिस्ट अनघा देओधर ने भी जीडीपी ग्रोथ नंबर को उम्मीद से बेहतर बताते हुए कहा कि मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेड, और होटल और ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर्स का प्रदर्शन सबसे ज्यादा चौंकाने वाला रहा है. देओधर ने भी कोरोना के बढ़ते संक्रमण को इकनॉमिक रिवावइल के लिए एक खतरा बताया. उन्होंने ET से कहा कि तीसरी तिमाही में भी ग्रोथ नकारात्मक रहने की संभावना है, लेकिन चौथे क्वॉर्टर में छोटी पॉजिटिव ग्रोथ देखी जा सकती है.
लॉकडाउन खुलने के बाद आर्थिक गतिविधियों ने रफ्तार पकड़ी और ऑटो सेल्स, कोर सेक्टर डेटा, एनर्जी कंज्म्प्शन, मैन्यूफैक्चरिंग PMI जैसे पैमानों के आधार पर इकनॉमी ने रिकवरी देखी. देओधर ने कहा कि दूसरी सेवाओं के मुकाबले, मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी में लोग कम कॉन्टैक्ट में आते हैं, जो इसमें सुधार का एक कारण हो सकता है.
(बिजनेस स्टैंडर्ड और द इकनॉमिक टाइम्स के इनपुट्स के साथ)
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