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जीएसटी के लेकर भारत सरकार अपनी पीठ ठोकती रही है पर वर्ल्ड बैंक इसका जो एनालिसिस किया है वो चौंकाने वाला है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक भारत ने जो जीएसटी लागू किया है वो 115 देशों में सबसे जटिल और दूसरे नंबर का सबसे ज्यादा रेट वाला ढांचा है.
भारत के कारोबारी जो बात नौ महीने से कहते आ रहे थे वर्ल्ड बैंक एक तरह से उसे सही ठहराती है. हालांकि सरकार ने बार बार जीएसटी को आसान बनाने की कोशिश की है पर लगता है कि वर्ल्ड बैंक इससे प्रभावित नहीं हुआ.
जीएसटी इस वक्त 115 देशों में लागू है. भारत में ये पहली जुलाई 2017 में लागू की गई थी.
दुनिया के करीब 49 देशों में जीएसटी का एक ही रेट है, जबकि 28 देशों में दो स्लैब और भारत समेत सिर्फ 5 देशों में चार या ज्यादा स्लैब हैं.
वर्ल्ड बैंक ने भारत पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद कई राज्यों में इसके अमल में दिक्कत आ रही हैं. इसकी वजह है कि कई राज्यों में अभी भी जीएसटी के बावजूद लोकल टैक्स लागू हैं. जैसे तमिलनाडु में एंटरटेनमेंट टैक्स लागू कर दिया है. इसी तरह महाराष्ट्र सरकार ने जीएसटी से नुकसान की भरपाई के लिए मोटर व्हीकल टैक्स बढ़ा दिया है.
इंडस्ट्री और कारोबारियों का कहना है कि उनके खर्च बढ़ गए हैं और जीएसटी की प्रक्रिया में देरी की वजह से बहुत बड़ी रकम फंसी हुई है जो कारोबार पर बुरा असर डाल रही है.
वर्ल्ड बैंक ने इस पर फिक्र जताई है. रिपोर्ट के मुताबित जीएसटी का मकसद ही है आसान टैक्स सिस्टम पर अगर इंडस्ट्री की लागत बढ़ रही है तो फिक्र की बात है. कई तरह के टैक्स रेट होने से टैक्स भरने में बहुत वक्त लगता है. इसके अलावा इनपुट और आउटपुट मिलान करने में बहुत ज्यादा वक्त खर्च हो जाता है.
हालांकि वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय अनुभव बताता है कि इसे पूरी तरह पटरी में आने में लंबा वक्त लगता है. लेकिन जरूरी है कि पूरा ढांचा इस तरह तैयार किया जाए कि इसके अमल में कम से कम रुकावटें आएं.
वर्ल्ड बैंक के मुताबिक सरकार को रेट कम रखने चाहिए हों, छूट कम से कम हों और कानून और प्रक्रियाएं कम से कम हों.
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