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केंद्र सरकार के टैक्स कलेक्शन टारगेट की वजह से टैक्स अधिकारी काफी दबाव में हैं. दरअसल आर्थिक मंदी के बीच नरेंद्र मोदी सरकार चाहती है कि ये अधिकारी इस साल 17 फीसदी ज्यादा डायरेक्ट टैक्स कलेक्ट करें.
यह टारगेट तब भी बरकरार है, जब सरकार डायरेक्ट टैक्स के अंदर आने वाले कोरपोरेट टैक्स में भारी कटौती कर चुकी है. इसके अलावा सरकार ने टैक्स अधिकारियों को हिदायत दे रखी है कि टैक्स कलेक्ट करते वक्त कारोबारियों को परेशान ना किया जाए.
इस मामले पर न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक दर्जन से ज्यादा टैक्स अधिकारियों से बातचीत की है, जिन पर नामुमकिन दिख रहे टैक्स टारगेट को पूरा करने का दबाव है. इस टारगेट से उनके अप्रेजल और ट्रांसफर पर भी असर पड़ेगा.
भट्टाचार्य के मुताबिक, पहले ऐसा बहुत कम देखने को मिलता था कि ब्यूरोक्रेट ऐसी प्रतिष्ठाजनक माने जानी वाली नौकरियां छोड़ रहे हों. उन्होंने कहा, ''यहां तक कि 25-30 साल से काम कर रहे सीजन्ड ऑफिसर भी इस दबाव को और नहीं झेल सकते. वीआरएस की एक के बाद एक अर्जियां आ रही हैं, जबकि फिलहाल डिपार्टमेंट में वीआरएस या गोल्डन हैंडशेक जैसी कोई योजना नहीं है.''
उत्तरी भारत में एक टैक्स अधिकारी ने बताया, ''दबाव बढ़ता जा रहा है. अपने टारगेट पूरे करने के लिए हम दबाव में हैं, ऐसे में हम ऐसी चीजें करते हैं, जो हम करना नहीं चाहते.''
मूडीज की भारतीय इकाई आईसीआरए में प्रिंसिपल इकनॉमिस्ट अदिति नायर ने अनुमान लगाया है कि इस साल के टारगेट को पूरा करने के लिए बाकी 6 महीनों में टैक्स कलेक्शन 42 फीसदी बढ़ाना होगा.
रॉयटर्स ने बताया है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने इस्तीफों पर टिप्पणी करने और डेटा मुहैया कराने के अनुरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. CBDT ने टैक्स टारगेट को लेकर पूछे गए सवालों पर भी जवाब नहीं दिया.
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