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शुक्रवार, 26 अगस्त को IRCTC की पैसेंजर डेटा मॉनेटाइजेशन योजना पर संसदीय समिति द्वारा तलब किए जाने के बाद, कंपनी ने इसे लेकर जारी किए टेंडर को रद्द कर दिया है.
इसके तहत 1,000 करोड़ रुपये की योजना पर सलाह के लिए एक कंसल्टेंट को काम पर रखने के लिए टेंडर जारी किया गया था.
कंपनी के अनुसार, भारत सरकार द्वारा पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को वापस लेने के कारण जारी किए टेंडर को वापस लिया गया है. कंपनी से जुड़े अधिकारियों ने यह भी कहा कि मॉनेटाइजेशन का आम जनता और पॉलिसी एक्सपर्ट ने भी विरोध किया था.
बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक सूत्रों ने कहा कि कंपनी ने पैनल को सूचित किया कि योजना को लेकर समीक्षा की गई है और टेंडर वापस ले लिया गया है. इस मॉनेटाइजेशन योजना पर कोई और निर्णय लेने से पहले रेल मंत्रालय अब नए डेटा बिल के पास होने का इंतजार करेगा.
बता दें कि इस टेंडर में लोगों के नाम, आयु, मोबाइल नंबर, लिंग, पता, ई-मेल आईडी, यात्रियों की, यात्रा की श्रेणी, पेमेंट मोड, लॉगिन और पासवर्ड जैसे संवेदनशील डेटा पर चिंता जताई जा रही थी.
बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के प्रतीक वाघरे ने कहा था, "भले ही रेलवे गोपनीयता बनाए रखने की बात कर मॉनेटाइजेशन की योजना बना रहा हो, फिर भी चिंता बनी रहेगी, क्योंकि हमारे पास उपयोगकर्ता डेटा की सुरक्षा के लिए कोई कानूनी ढांचा नहीं है."
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