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जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद घाटी में व्यापारियों को दस हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है. ये दावा व्यापारिक संगठन कश्मीर वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के अध्यक्ष शेख आशिक ने किया है. इसके साथ ही व्यापारिक संगठन ने केंद्र सरकार से नुकसान की भरपाई करने की मांग भी की है.
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर में लागू धारा 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त कर दिया था. उसके बाद सुरक्षा की दृष्टि से राज्य में कई तरह की पाबंदियां लगाई गईं. 27 अक्टूबर को इन पाबंदियों को लागू हुए 84 दिन हो गए. इन पाबंदियों के चलते मुख्य बाजार ज्यादातर समय बंद रहे और पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी सड़कों से नदारद रहा.
व्यापारिक संगठन, कश्मीर वाणिज्य उद्योग मंडल के अध्यक्ष शेख आशिक के मुताबिक, शहर के लाल चौक इलाके में कुछ दुकानें सुबह के समय और शाम को अंधेरा होते समय खुलती हैं लेकिन मुख्य बाजार बंद हैं.
न्यूज एजेंसी पीटीआई से शेख आशिक ने कहा कि कितना नुकसान हुआ है इसका अनुमान अभी लगाना मुश्किल है क्योंकि स्थिति अभी तक सामान्य नहीं हो पाई है. इस दौरान कारोबारी समुदाय को गंभीर झटका लगा है और उसका इससे उबरना मुश्किल लगता है.
शेख आशिक ने कारोबारी नुकसान के लिए इंटरनेट सेवाओं का निलंबित रहना मुख्य वजह बताई. उन्होंने कहा, ‘‘आज के समय में किसी भी कारोबार के लिए इंटरनेट सेवाओं का होना जरूरी है इसके बिना काम करना मुश्किल है. हमने इस बारे में राज्यपाल प्रशासन को अवगत करा दिया है. उन्हें बता दिया गया है कि कश्मीर में काम धंधे को नुकसान होगा और अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ जाएगी. आने वाले समय में इसका गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.’’
कश्मीर वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के अध्यक्ष ने कहा कि सरकार को इस पूरे नुकसान की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और व्यापारियों और कारीगरों के नुकसान की भरपाई करने के लिए कदम उठाने चाहिए.
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