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दिसंबर 2018 में सरकार बनाने के बाद, मुख्यमंत्री कमलनाथ की कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में विकास पर अपनी पकड़ लगातार मजबूत की है. दूसरी प्राथमिकताओं के साथ मध्य प्रदेश को निवेश का केंद्र बनाना उनकी नई सरकार के काम का केंद्र रहा है.
खासतौर पर इस समय सरकारी मशीनरी पूरी तरह से निवेश मेले या इन्वेस्टमेंट समिट को सफल बनाने में जुटी दिख रही है. ये समिट 18 अक्टूबर 2019 को इंदौर में रखा गया है और इसे ‘मैग्नीफिसेंट एम.पी. इन्वेस्टर्स समिट’ (Magnificent MP Investors’ Summit) नाम दिया गया है. नए निवेशकों को प्रदेश में लाने का ये एक बड़ा कदम है. ये समिट किसी एक सेक्टर तक ही सीमित नहीं है बल्कि सभी उद्योग क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के लिए आयोजित किया जा रहा है.
दरअसल प्रदेश सरकार ने निवेश की रफ्तार तेज करने के लिए पिछले एक साल में कई नीतिगत सुधार किए हैं. ये समिट प्रदेश में नए निवेशकों को लाने की उसी कड़ी का हिस्सा है.
इलाके के लिहाज से मध्य प्रदेश भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, जो देश के ठीक बीचों-बीच है, इसीलिए इसे देश का दिल भी कहा जाता है. मध्य प्रदेश की सीमाएं पांच और राज्यों से मिलती हैं. हालांकि प्रदेश समुद्री किनारे से दूर है पर अपनी कनेक्टिविटी के लिहाज से बेहतर विकल्प देता है. मध्य प्रदेश का रेल नेटवर्क विस्तृत है और प्रदेश से 550 ट्रेनें रोज गुजरती हैं. यहां 2,30,000 किलोमीटर की सड़कें हैं, जो इसे देश के सभी महत्वपूर्ण व्यापारिक और वाणिज्यिक केंद्रों से बखूबी जोड़ती हैं. इसके अलावा 5 एयरपोर्ट, जिनमें से 1 अतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट भी है, मध्य प्रदेश को शानदार तरीके से देश और दुनिया से जोड़े रखते हैं. ये भौगोलिक और ढांचागत फायदा प्रदेश को देश के 50% हिस्से से जोड़ने का काम कर रहा है.
मध्य प्रदेश निवेश के लिए एक आदर्श राज्य इसलिए भी है, क्योंकि ये एक शांत प्रदेश रहा है जहां सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं है. यहां की विकास दर भी उंची है, जो कि देश की विकास दर से काफी लंबे समय से ज्यादा रही है. पिछले दस साल की बात करें, तो राज्य की विकास दर का प्रतिशत 9 ठहरता है जो काफी अच्छा कहा जाएगा. इसके अलावा राज्य में ढांचागत विकास भी अच्छा हुआ है, जो कि निवेश के लिए जरूरी है और बिजली भी यहां खपत से ज्यादा उपल्बध है. शिक्षा और व्यवसायिक प्रशिक्षण के अच्छे विकल्प भी प्रदेश में मौजूद हैं जैसे - आई.आई.एम., आई.आई.टी., एम्स, इसके अलावा कई अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज और ओद्योगिक ट्रेनिंग के सेंटर जो कुशल कारीगरों और अच्छे प्रोफेशनल्स की मौजूदगी पक्की कराते हैं.
मध्य प्रदेश कृषि आधारित अर्थव्यवस्था रही है, जहां उपज का क्षेत्र 22.1 मिलियन हैक्टेयर है। प्रदेश सोयाबीन, चना, दाल और प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक है. धान और मटर के उत्पादन में भी प्रदेश में दूसरे नंबर पर है. बासमती चावल का जो निर्यात पूरे भारत से यू.एस. और कनाडा को होता है, उसका 50% हिस्सा अकेले मध्य प्रदेश से ही जाता है. मध्य प्रदेश का 1.3 मिलियन हैक्टेयर का बड़ा इलाका हॉर्टीकल्चर के लिए इस्तेमाल होता है. इनमें फल, सब्जियां और मसाले शामिल हैं. औषधीय पौधों को उगाने में प्रदेश देश में पहले नंबर पर है. इसके अलावा फूलों, मसालों और सब्जियों की पैदावार में भी मध्य प्रदेश, देश में ऊंचा दर्जा रखता है. यहाँ ये बताना महत्वपूर्ण है कि प्रदेश में 4,000 कृषि को-ऑपरेटिव और 256 कृषि मंडियां एक स्थिर वातावरण और बाजार देने में मदद कर रही हैं.
ऐसा लगता है कि प्रदेश की नई सरकार, कृषि-आधारित सेक्टर के महत्व को समझ रही है और कम समय में ही कृषि क्षेत्र में सहायता के कई नीतिगत फैसले ले चुकी है. ये फैसले बीज के सर्टिफिकेशन से ले उपज के बाजार में सहजता से पहुंचने तक कृषि क्षेत्र के हर पहलू पर लिए गए हैं. हालांकि कृषि-ऋण माफी से जुड़ी खबरों ने पिछले समय में ज्यादा सुर्खियां बटोरीं, मगर कृषि के लिए आसान कर्ज मुहैया कराने जैसी नीतियों ने असल में ज्यादा बड़ा असर दिखाया है. नीतिगत सुधारों की पहल के तौर पर राज्य सरकार ने भूमि के इस्तेमाल के नियमों को भी सरल किया है. इन सुधारों का सबसे बड़ा फायदा, छोटे और हाशिए पर खड़े किसानों और जमीन मालिकों को मिला है.
मौजूदा राज्य-सरकार का ध्यान प्रदेश में ऐसा माहौल बनाने का है, जहां व्यवसाय और उद्योग पनप सकें. पिछले एक साल में मंदी-दीप, मालनपुर, बोरगांव और पीथमपुर इंडस्ट्रियल टाउनशिप को बेहतर बनाने के लिए कई बड़े फैसले लिए गए हैं. इसका नतीजा ये निकला है कि कई मसले जो लंबे समय से चले आ रहे थे अब सुलझ गए हैं, जैसे - व्यवसाय के लिए आवश्यक अनुमति और कागजी कार्यवाही की लंबी प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है. सरकार ने चार ग्रीन-फील्ड टैक्सटाइल इंडस्ट्री एरिया बनाने की भी घोषणा की है और नॉन-लेदर और फार्मा पार्क भी, जो औद्योगिक इकाइयों के लिए जरूरी बनते जा रहे हैं.
राज्य सरकार कई तरह के कामों के लिए तकनीकी मदद भी मुहैया करा रही है; उदाहरण के तौर पर ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनस’ योजना के तहत, सिंगल विंडो सिस्टम बनाया गया है, ताकि एक ही जगह से सभी जरूरी स्वीकृतियां प्राप्त की जा सकें. इन्वेस्ट एम.पी. (Invest MP) पोर्टल ने इस प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है, जिससे समय की बचत भी हो रही है और जवाबदेही तय करने में भी मदद मिल रही है.
मध्य प्रदेश सरकार ने कुछ सेक्टरों को संभावनाओं के आधार पर प्राथमिकता पर भी रखा है जैसे - टैक्सटाइल उद्योग - जो कि प्राथमिकता पर इसलिए रखा गया है ताकि नए निवेश से इस सेक्टर को और मजबूती मिल सके. मध्य प्रदेश प्रसिद्ध है अपने चंदेरी कॉटन, महेश्वरी सिल्क साड़ियों और सिल्क टैक्सटाइल के लिए. प्रदेश में इस समय 60 बड़ी टैक्सटाइल मिलें हैं. इसके अलावा हजारों लूम और स्पिंडल भी यहां काम कर रहे हैं. ये सभी बड़े पैमाने पर युवाओं को रोजगार दे रहे हैं. प्रदेश सरकार ने टैक्सटाइल उद्योग को कई नए सहायता पैकेज देने की भी घोषणा की है, ये मदद उन घोषणाओं के अलावा है जो कि दूसरे उद्योगों के लिए की गई हैं.
बड़े सेक्टरों के अलावा मध्य प्रदेश सरकार ने लघु और छोटी इकाइयों के लिए जमीन के इस्तेमाल के नियमों को भी सरल बनाया है और लालफीताशाही को कम किया है. छोटी जमीनों को सब-लीज करने और इस्तेमाल के लिए हस्तांतरण को अब सरल कर दिया गया है. जमीन के विवादों का जल्दी हल निकालने के लिए प्रदेश सरकार ने ‘माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइज फेसिलीटेशन काउंसिल’ भी स्थापित किया है.
राज्य सरकार ने ‘मध्य प्रदेश इन्क्यूबेशन और स्टार्टअप पॉलिसी’ को शुरु किया, ताकि स्टार्टअप्स को प्रदेश में प्रोत्साहित किया जा सके. फंडिंग के अलावा दूसरी जरूरी मदद, इन्क्यूबेशन सेंटर भी ‘प्लग-एंड-प्ले’ सेंटर के तौर पर काम करते हैं, ताकि स्टार्टअप बिना बड़े निवेश के अपनी अलग-अलग जरूरतों के बावजूद काम आसानी से शुरु कर सकें. इसके अलावा अब दो नए अत्याधुनिक, 200 सीटों वाले स्टार्टअप इन्क्यूबेटर बनाने की भी घोषणा की गई है. सरकार की योजना 60 इन्क्यूबेटर पार्टनर नेटवर्क बनाने की भी है, साथ ही 60 करोड़ रुपए का सीड-फंड और निवेश-फंड घोषित किया गया है ताकि स्टार्टअप्स को आर्थिक मदद दी जा सके.
मध्य प्रदेश सरकार कुछ क्षेत्रों को निवेश संभावित क्षेत्र मान कर उन पर खास ध्यान दे रही है जैसे - एग्री-फ़ूड प्रोसेसिंग, ऑटो, फार्मा, आई.टी. वेयरहाउस-लॉजिस्टिक्स, टैक्सटाइल और पर्यटन. इसीलिए 18 अक्टूबर 2019 को इंदौर में होने वाले समिट के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी सरकार ने देशभर के उद्योगपतियों और व्यवसायियों को आमंत्रित किया है.
अंत में, राजनीतिक स्थिरता और नीतियों की निरंतरता, दो अहम कारक होंगे प्रदेश में नए निवेश के लिए. मध्य प्रदेश में ये दोनों ही कारण सकारात्मक नजर आ रहे हैं, खासकर तब, जब प्रदेश में बिजनस के लिए प्रदेश सरकार के पास अच्छा माहौल बनाने के लिए चार साल बाकी हैं. अगर नीतिगत फैसलों और सही वातावरण बनाने की यही दिशा बनी रहती है तो कोई भारत का दिल कहे जाने वाला मध्य प्रदेश, देश की प्रगति और विकास का ताकतवर इंजन भी जल्द ही बन जाएगा.
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