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मैकडोनल्ड्स ने कॉफी के दाम नहीं घटाए, मुनाफाखोरी के मामले में घिरा

सरकार ने मैकडॉनल्ड्स को नोटिस भेजकर पूछा है कि जीएसटी दरें घटने के बावजूद ग्राहकों को फायदा क्यों नहीं दिया गया.

शौभिक पालित
बिजनेस न्यूज
Published:
जीएसटी दर घटने के बावजूद ग्राहकों से  पुरानी कीमत वसूल की जा रही है.
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जीएसटी दर घटने के बावजूद ग्राहकों से पुरानी कीमत वसूल की जा रही है.
(फोटो: McDonald’s)  

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कॉफी पर काफी कमाई करने के चक्कर में मैकडॉनल्ड्स की मुश्किलें बढ़ गई हैं. जब 18 परसेंट जीएसटी थी, तब कॉफी 142 रुपए की थी, लेकिन जीएसटी घटकर 5 परसेंट हुई तो भी कॉफी 142 रुपए की कैसे है? जीएसटी की मुनाफाखोरी रोकने वाली अथॉरिटी ने मैकडॉनल्ड्स को नोटिस भेजकर यही सवाल पूछा है. इसके अलावा ऐसे ही मामलों में दूसरे रिटेलर भी फंसे हैं.

ये कैसा हिसाब है?

पश्चिम और दक्षिण भारत में मैकडॉनल्ड्स के आउटलेट्स का संचालन करने वाली कंपनी हार्डकैसल रेस्टोरेंट्स प्राइवेटल लिमिटेड के खिलाफ बीते दिनों दो लोगों ने शिकायत दर्ज करवाई थी. आरोप है कि जीएसटी काउंसिल की तरफ से रेस्टोरेंट्स के लिए जीएसटी की दर 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किये जाने  के बावजूद मैकडॉनल्ड्स ने अपने 'मैककैफे रेगुलर लैटे' की कीमत नहीं घटाई है. पहले भी इसकी कीमत 142 रुपये थी, और अब भी ग्राहकों से इसकी इतनी ही कीमत वसूल की जा रही है.

1 जुलाई 2017 से देश भर में जीएसटी लागू हुई थी, लेकिन भारी विरोध और आलोचनाओं के बाद सरकार ने दोबारा समीक्षा करने के बाद 170 से ज्यादा तरह के उत्पाद और सेवाओं में लागू जीएसटी की दरों में कटौती की, और घटी हुई नई दरों को 15 नवंबर से लागू किया गया.

मैकडोनल्ड्स को देना होगा जवाब

शिकायत मिलने के बाद केंद्र सरकार के राजस्व विभाग की जांच टीम ने जीएसटी की एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी के तहत मैकडॉनल्ड्स को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. अगर मैकडॉनल्ड्स अपने ऊपर लगे आरोपों को स्वीकार करती है कि उन्होंने जीएसटी रेट घटने के बावजूद ग्राहकों को इसका फायदा नहीं दिया, तो सम्बंधित दस्तावेजों के साथ कंपनी को डायरेक्टर जनरल ऑफ सेफगार्ड्स, यानी डीजीसी को 12 जनवरी तक मामले पर जवाब देना है. इसके अलावा कंपनी को वो राशि भी बतानी होगी, जिसका फायदा ग्राहकों को मिलना था, लेकिन जीएसटी के नियमों का उल्लंघन करते हुए वो राशि कंपनी के खाते में आयी. साथ ही कंपनी से साल 2017 में जुलाई से तेकर दिसंबर के दौरान पूरे जीएसटी का लेखा-जोखा और चालू वित्त वर्ष के मुनाफे-नुकसान का हिसाब मांगा गया है.

ब्लूमबर्ग क्विंट के ईमेल के जवाब में हार्डकैसल रेस्टोरेंट्स की तरफ से आयी आधिकारिक प्रतिक्रिया में कहा गया है कि उन्हें अब तक ऐसी कोई नोटिस नहीं मिला है.

कानून को मानने वाले एक कॉर्पोरेट नागरिक के रूप में, हम सभी लागू कानूनों का पालन करते हैं, और ऐसी किसी भी तरह की नोटिस मिलने पर  हम उसका जवाब जरूर देंगे.
आधिकारिक प्रतिक्रिया, हार्डकैसल रेस्टोरेंट्स  
हार्डकैसल रेस्टोरेंट्स को डायरेक्टर जनरल ऑफ सेफगार्ड्स को 12 जनवरी तक मामले पर जवाब देना है. (फोटो: Facebook)
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लाइफस्टाइल इंटरनेशनल

अपेरल और फैशन रिटेल चेन की इस बड़ी कंपनी पर भी गाज गिरी है. कंपनी के खिलाफ कंज्यूमर कंप्लेंट में कहा गया था कि लाइफस्टाइल ने अपने स्टोर में उपलब्ध 'मेबिलीन एफआईटी मी फाउंडेशन' में ग्रहकोॆ को जीएसटी की छूट का पूरा फायदा नहीं दिया, जबकि इस कॉस्मेटिक प्रोडक्ट में जीएसटी 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर दिया गया था. डायरेक्टर जनरल ऑफ सेफगार्ड्स की तरफ से कंपनी के खिलाफ जांच के आदेश दिये गये हैं. लाइफस्टाइल को भी 12 जनवरी तक मामले पर जवाब देना है.

लाइफस्टाइल इंटरनैशनल ने एक कॉस्मेटिक प्रोडक्ट में ग्राहकों को जीएसटी का लाभ नहीं दिया(फोटो: ट्विटर)  

होंडा डीलर

होंडा कार्स इंडिया के एक डीलर- वृंदावनेश्वरी ऑटोमोटिव लिमिटेड के खिलाफ एक शिकायत मिलने पर डीजीसी की तरफ से नोटिस दिया गया था कि जीएसटी लागू होने के बाद फर्म ने कार की लागत को उचित रूप से कम नहीं किया था. शिकायत में कहा गया है कि डीलर ने नए देशव्यापी कर को लागू करने से पहले प्री-जीएसटी एक्साइज, सेंट्रल सेल्स टैक्स और वैट जैसे टैक्स में कटौती नहीं की थी.

पिरामिड इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड

36 घर खरीदोरों ने कंपनी पर आरोप लगाया है कि वह इनपुट टैक्स क्रेडिट के लाभ नहीं दे रहा है. ग्राहकों को एक निर्माणाधीन घर पर 12 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करना होगा, जबकि डेवलपर्स इसके लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट लेते हैं. कंपनी को 1 जनवरी तक जवाब देना था.

बता दें कि इन तीनों ही कंपनी ने ब्लूमबर्ग क्विंट के ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया.

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