2020-21 में शून्य रह सकती है भारत की आर्थिक वृद्धि: मूडीज 

देश की जीडीपी की स्थिति इस वित्त वर्ष में सपाट रहने का अनुमान

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देश की जीडीपी की स्थिति इस वित्त वर्ष में सपाट रहने का अनुमान
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देश की जीडीपी की स्थिति इस वित्त वर्ष में सपाट रहने का अनुमान
(फोटो: Reuters)

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क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की आर्थिक वृद्धि शून्य रह सकती है. मूडीज ने कहा है कि हाल के सालों में भारत की आर्थिक वृद्धि की गुणवत्ता में गिरावट आई है.

एजेंसी ने अपने नए पूर्वानुमान में कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि शून्य रह सकती है. इसका मतलब है कि देश की जीडीपी की स्थिति इस वित्त वर्ष में सपाट रहेगी. एजेंसी ने हालांकि, वित्त वर्ष 2021-22 में वृद्धि दर के 6.6 फीसदी पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया है.

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मूडीज ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस महामारी से लगा झटका आर्थिक वृद्धि में पहले से ही कायम नरमी को और बढ़ा देगा. इसने राजकोषीय घाटे को कम करने की संभावनाओं को पहले ही कमजोर कर दिया है.

मूडीज की स्थानीय इकाई इक्रा ने इस महामारी के कारण वृद्धि दर में दो फीसदी की गिरावट की आशंका व्यक्त की है. मूडीज ने इससे पहले पिछले महीने के आखिर में कैलेंडर वर्ष 2020 में जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 0.2 फीसदी कर दिया था.

सरकार ने मार्च में 1.7 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया था. अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार एक और राहत पैकेज की घोषणा कर सकती है.

एजेंसी ने इस बारे में कहा कि इन उपायों से भारत की आर्थिक नरमी के असर और अवधि को कम करने में मदद मिल सकती है. हालांकि, ग्रामीण परिवारों में लंबे समय तक वित्तीय बदहाली, रोजगार सृजन में नरमी, वित्तीय संस्थानों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफसी) के सामने ऋण संकट की स्थिति पैदा हो सकती है.

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