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जीएसटी के तहत ई-वे बिल लागू होने के पहले दिन यानी 1 अप्रैल को 1.71 ई-बिल जेनरेट हुए थे. लेकिन दूसरे दिन यानी सोमवार को इस पर बहुत ज्यादा दबाव के मद्देनजर सरकार की ओर चाक-चौबंद व्यवस्था की गई थी.
सोमवार को वित्त सचिव ने प्रेस कांफ्रेंस कर जानकारी दी कि दोपहर 3 बजे तक 2.89 लाख ई-वे बिल जेनरेट हो चुके थे. हर घंटे ई-वे बिल जेनरेट होने की रफ्तार 60000 थी. ज्यादा ई-वेल जेनरेट होने की क्षमता के लिए भी तैयारी कर रही है.
सरकार की ओर से कहा गया है कि ई-वे बिल जेनरेट में मदद करने के लिए 100 एजेंट नियुक्त किए हैं, जो ऑनलाइन काम कर रहे हैं. ये लोग ई-वे बिल जेनरेट करने में मदद कर रहे हैं.
जीएसटीएन के चेयरमैन ने कहा है कि ई-वे मैकेनिज्म और ई-वे सर्वर और ज्यादा लोड लेने के तैयार किए जा रहे हैं. 35 राज्य और 2 सिस्टम ई-वे मैकेनिज्म में समाहित कर दिए गए हैं. अब तक इसमें 1.36 करोड़ कारोबारी और 11 लाख डीलरों ने रजिस्टर्ड कराया है. 1.10 करोड़ रजिस्टर्ड डीलरों ने 8.38 करोड़ रुपये का रिटर्न फाइल किया है.
ई-वे बिल सिस्टम 1 अप्रैल से शुरू हो गया है. इसके तहत एक जगह से दूसरी जगह 50000 रुपये से ज्यादा की माल ढुलाई के लिए ई-वे बिल पेश करना होगा. वैसे तो यह बिल 50000 रुपये से अधिक के माल की ढुलाई के दौरान साथ रखना होगा. लेकिन कुछ जरूरी सामानों की ढुलाई के मामले में इससे छूट भी दी गई है. वहीं कुछ चीजें ऐसी भी हैं, जिनकी कीमत 50000 रुपये से कम होने पर भी ई-वे बिल रखना जरूरी होगा.
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