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पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की उम्मीद बढ़ती जा रही है. अगर ऐसा हुआ तो दोनों के दाम में 10 रुपए से ज्यादा की कमी हो सकती है. अभी पेट्रोल और डीजल पर करीब 50 परसेंट तक टैक्स हैं, जीएसटी के दायरे में लाने से ये घटकर 28 परसेंट ही रह जाएंगे.
लेकिन इस उम्मीद की क्या वजह है? दरअसल राज्यसभा में पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम और मौजूदा वित्तमंत्री अरुण जेटली दोनों ने माना कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए.
जेटली ने कहा वो भी चाहते हैं कि पेट्रोल-डीजल जीएसटी में लाया जाए. इस पर चिदंबरम ने कटाक्ष किया कि फिर आपको ऐसा करने से रोका किसने हैं? पूर्व वित्तमंत्री ने कहा 19 राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं अब तो सरकार के लिए सहमति बनाना भी आसान है.
पूर्व वित्त मंत्री के इस सवाल पर मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सरकार पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के दायरे में लाने के पक्ष में है. इस मसले पर राज्यों की आम सहमति का इंजतार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि राज्य इस मसले पर सहमत हो जाएंगे.
जीसटी में पेट्रोलियम उत्पादों को शामिल करने की बात काफी समय से चल रही है. पिछले दिनों बिहार के वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा था “बिजली, रियल एस्टेट, स्टांप ड्यूटी और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी का हिस्सा होना चाहिए. यह हमारा (जीएसटी काउंसिल) का प्रयास होगा.”
उन्होंने कहा था कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी काउंसिल पेट्रोलियम उत्पादों को इस नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में शामिल करने पर विचार करेगी. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह कब तक संभव होगा इसके लिए एक निश्चित समय बताना थोड़ा मुश्किल होगा.
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पिछले महीने जीसटी दरों में कटौती की गई है. जीसटी में अबतक का सबसे बड़ा फेरबदल 10 नवंबर को हुआ, जब जीएसटी काउंसिल की 23वीं बैठक में 200 से ज्यादा चीजों पर टैक्स रेट को घटाने का फैसला किया गया. केवल 50 चीजों को 28 फीसदी टैक्स स्लैब में रखा गया है वहीं 13 चीजों को 18% स्लैब 12% स्लैब में लाया गया है. 8 चीजों को 12% स्लैब से 5% स्लैब में लाया गया है 6 चीजों पर टैक्स घटाकर जीरो कर दिया गया है. जीसटी की ये नई दरें 15 नवंबर से लागू हो गई.
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