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पंजाब नेशनल बैंक में घोटाले के बाद बैंकों के एनपीए को लेकर बहुत सवाल उठ रहे हैं. लेकिन सरकारी बैंकों का इतना बुरा हाल है कि उन्हें पटरी पर लाने के लिए सरकार को करीब 5,00,000 करोड़ रुपए देने होंगे.
सरकार ने सरकारी बैंकों को 2.11 लाख करोड़ रुपए देने का फैसला किया है लेकिन ब्रोकरेज हाउस एमके ग्लोबल की रिपोर्ट के मुताबिक इतने भर से काम चलने वाला नहीं है, सरकारी बैंकों की सेहत सुधारने के लिए 5 लाख करोड़ रुपए की जरूरत होगी.
इस रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों के खराब लोन की रिकवरी बड़ी मुश्किल है और इसमें चौथाई या आधे से ज्यादा वसूली की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. ऐसे में ऐसे में बैंकों को काम चलाने के लिए भारी भरकम रकम की जरूरत होगी. एमके ग्लोबल के रिसर्च हेड धन्जय सिन्हा के मुताबिक बैंकों का 9.6 लाख करोड़ रुपए का खराब लोन है. बैंकों के जितनी प्रोविजिनिंग की जरूरत है अभी सरकार ने उसका सिर्फ 45 परसेंट का ही दिया है.
सिन्हा कहते हैं पंजाब नेशनल बैंक में जिस तरह का फ्रॉड हुआ है उसे देखते हुए लगता है मौजूदा हालात में लगता है कि सरकारी बैंकों के खराब लोन का 75 परसेंट तक डूबने का खतरा है. यानी बैंकों को 25 परसेंट से ज्यादा वसूली की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए.
देश का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक नुकसान उठा रहा है. दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक पीएऩबी भारी भरकम घोटाले का शिकार हो गया है. ऐसे में सरकार ने जो 2.11 लाख करोड़ की पूंजी देने का फैसला किया है उससे काम चलने वाला नहीं है. बैंकों को अभी 2.6 लाख करोड़ रुपए की और जरूरत होगी.
(ब्लूमबर्ग क्विंट)
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