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साल 2018 का बजट पेश होने में अब कुछ ही दिन रह गए हैं. 1 फरवरी को संसद में वित्तमंत्री इसे पेश करेंगे. लेकिन बजट भाषण के दौरान कई ऐसे टर्म हम सुनते हैं, जिसे समझ पाने में परेशानी होती है. ये ऐसे शब्द हैं, जिनसे हमारा सामना हर बजट के दौरान होता है.
तो इस बार वित्तमंत्री के बजट भाषण को सुनते समय ये शब्द आपको परेशान न करें, इसलिए फटाफट इस लिस्ट को पढ़ डालिए, ताकि इस बार का बजट भाषण सिरदर्द न बने.
बजट भारत की सालाना रिपोर्ट है, जिसमें सरकार आय और व्यय का ब्योरा पेश करती है. इसके तहत सरकार ये तय करती है कि आने वाले साल के लिए देश के विकास से जुड़ी किन योजनाओं पर कितना खर्च करना है और उन खर्चों के लिए रेवेन्यू/धन की व्यवस्था कैसे करनी है.
सरकार नया टैक्स लगाने और टैक्स प्रस्तावों में बदलाव का काम वित्त विधेयक के जरिए करती है. इसे संसद एक साल के लिए मंजूरी देती है, जो उस वित्त वर्ष के लिए वित्त अधिनियम बन जाता है.
सरकारी व्यय को दो हिस्सों में बांटा जाता है- योजनागत व्यय और गैर योजनागत व्यय. योजनागत व्यय में वे सभी खर्च आते हैं, जो कई डिपार्टमेंट की ओर से चलाई जा रही योजनाओं पर किया जाता है. इसका एस्टिमेट अलग-अलग मंत्रालय और योजना आयोग मिल कर तय करते हैं.
गैर योजनागत व्यय के दो हिस्से होते हैं- गैर योजनागत राजस्व व्यय और गैर योजनागत पूंजीगत व्यय. गैर योजनागत राजस्व व्यय में ब्याज की अदायगी, सब्सिडी, सरकारी कर्मचारियों को वेतन की अदायगी, राज्य सरकारों को ग्रांट, विदेशी सरकारों को दिए जाने वाले ग्रांट आदि शामिल होते हैं. वहीं गैर योजनागत पूंजीगत व्यय में डिफेंस, पब्लिक इंटरप्राइजेज को दिया जाने वाला कर्ज, राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और विदेशी सरकारों को दिया जाने वाला कर्ज शामिल होता है.
राजस्व घाटे का मतलब ये है कि सरकार ने जितने रेवेन्यू का अनुमान लगाया था, उससे ज्यादा का खर्च हो गया. मतलब ये है कि अनुमान किए गए रेवेन्यू और खर्चे के बीच का अंतर राजस्व घाटा कहलाता है.
सरकार को मिलने वाले कुल रेवेन्यू और कुल खर्च के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं.
सार्वजनिक उपक्रमों में सरकारी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया विनिवेश कहलाती है. दरअसल इस प्रोसेस के तहत सरकार घाटे में चल रहे पब्लिक सेक्टर की उन कंपनियों या उपक्रमों की कुछ हिस्सेदारी को शेयर या बांड के रूप में बेचती है. इससे मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल सरकार या तो उस कंपनी को बेहतर बनाने में करती है या किसी दूसरी योजनाओं में इसको लगाती है.
डायरेक्ट टैक्स वो टैक्स होता है जिसे आपसे सीधे तौर पर वसूला जाता है. ये आपके या संगठनों की किसी भी स्रोत से हुई इनकम पर लगाई जाती है. इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स डायरेक्ट टैक्स के तहत ही आते हैं.
ये वो टैक्स है जिसे आप सीधा नहीं जमा कराते, लेकिन ये आप ही से किसी और रूप में वसूला जाता है. आपके सामान खरीदने और सेवाओं का इस्तेमाल करने के दौरान आप ये टैक्स देते हैं. देश में तैयार, एक्पोसर्ट या इंपोर्ट किए गए सभी सामानों पर लगाए जाने टैक्स अप्रत्यक्ष कर कहलाते हैं. लेकिन 1 जुलाई, 2017 सारे अप्रत्यक्ष कर GST में समाहित हो गए हैं.
सरकार की ओर से व्यक्तियों या समूहों को नकदी या टैक्स से छूट के रूप में दिया जाने वाला लाभ सब्सिडी कहलाता है.
जीडीपी यानी GROSS DOMESTIC PRODUCT देश की अर्थव्यवस्था की सेहत बताने वाला सबसे प्रमुख पैमाना है. एक साल के दौरान मैन्यूफैक्चर्ड सभी उत्पादों और सेवाओं के सम्मिलित बाजार मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है. इसमें कृषि, उद्योग और सेवा - तीन सेक्टर शामिल होते हैं.
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