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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) ने रेपो रेट (Repo Rate) में बढ़ोतरी की घोषणा की. रिजर्व बैंक (RBI) ने अब रेपो रेट को 4.40 फीसदी से बढ़ाकर 4.90 फीसदी कर दिया है. RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि MPC ने सर्वसम्मति से पॉलिसी रेपो रेट को 50 बीपीएस बढ़ाकर 4.90% करने के लिए मतदान किया है. RBI के फैसले से लोन लेना और EMI बढ़ना तय है.
रेपो रेट (Repo Rate) बढ़ाने से आपके होम और कार लोन जैसे अन्य कर्जों की EMI बढ़ जाएगी.
रेपो रेट बढ़ने का असर आपके सेविंग बैंक अकाउंट और FD पर भी पड़ेगा.
लगातार बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए भी केंद्रीय बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी करके इसे काबू में करने की कोशिश करता है. रेपो रेट में ताजा बढ़ोतरी से उम्मीद की जानी चाहिए कि महंगाई को काबू में रखने में मदद मिलेगी.
रेपो रेट बढ़ने से महंगाई को कम करने में मदद मिल सकती है. रिजर्व बैंक का मानना है कि ब्याज दर महंगा होने से मुद्रास्फीति की दर पर लगाम लगाई जा सकेगी.
रेपो रेट बढ़ने का असर औद्योगिक विकास पर भी पड़ सकता है. क्योंकि ब्याज दर उनके लिए भी महंगी हो जाएगी.
RBI ने पिछले महीने करीब दो साल बाद पहली बार रेपो रेट (Repo Rate) में बदलाव किया था. मई में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाकर 4.40 कर दिया था. यह करीब चार साल बाद रेपो रेट में पहली बढ़ोतरी थी. इस फैसले के बाद सभी बैंकों ने भी लोन महंगा कर दिया था.
रेपो रेट (Repo Rate) वह रेट होता है, जिस रेट पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) कमर्शियल बैंकों (Commercial Banks) और दूसरे बैंकों को लोन देता है. उसे रिप्रोडक्शन रेट (Reproduction Rate) या रेपो रेट कहते हैं.
जिस रेट पर बैंकों (Banks) को उनकी ओर से आरबीआई (RBI) में जमा धन पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं. बैंकों के पास जो अतिरिक्त नकदी होती है, उसे रिजर्व बैंक के पास जमा करा दिया जाता है। इस पर बैंकों को ब्याज भी मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी को नियंत्रित (Cash Management) करने में काम आता है।
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